रणथम्भौर : बाघों की राह में रोडा लगाने वाली सड़क में लगा सरकार का रोडा
सवाई माधोपुरPublished: Jun 14, 2019 04:50:18 pm
रणथम्भौर व मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के साथ बफर जोन भी हो रहा था प्रभावित राष्ट्रीय उद्यान व अभयारण्य की सीमा में हाइवे के निर्माण पर जताई आपत्ति
एक्सप्रेस-वे के रूट में हो सकता है बदलाव : केन्द्र सरकार ने एनएचएआई को जारी किया सर्कुलर
सवाईमाधोपुर. नेशनल हाइवे अथॉरियटी ऑफ इण्डिया (एनएचएआई) की ओर से दिल्ली-मुंबई के बीच प्रस्तावित एक्सप्रेस वे के रूट में बदलाव किया जा सकता है। गत दिनों केन्द्र सरकार की ओर से एनएचएआई और नेशनल हाइवे एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएचआईडीसीएल), बोर्डर रोड संस्थाओं व राज्य सरकारों को एक सर्कुलर जारी करके राष्ट्रीय उद्यान व अभयारण्य की सीमा में हाइवे का निर्माण करने से मना किया है। ऐसे में अब दिल्ली-मुंबई के बीच प्रस्तावित एक्सप्रेस वे के रूट में भी बदलाव किया जा सकता है। सरकार की ओर से इस रूट पर बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखकर आसपत्ति जताई है।
बाघों के आने-जाने का रास्ता हो रहा था प्रभावित
पूर्व में एनएचएआई की ओर से दिल्ली-मुंबई के बीच प्रस्तावित एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए जिस जमीन के अधिग्रहण की इच्छा जताई थी। वह बाघों का एक अभयारण्य से दूसरे अभयारण्य में जाने का रास्ता था। एक्सप्रेस वे के पूर्व के रोड मैप में रणथम्भौर व लाखेरी-इंद्रगढ़ के बीच सड़क निर्माण होना दर्शाया गया था। ऐसा होने पर राजस्थान के दो टाइगर रिजर्व व एक अभयारण्य के बीच का संपर्क मार्ग बाधित हो रहा था। इस रूट से एक्सप्रेस वे के निर्माण से रामगढ़ विषधारी अभयारण्य व जवाहर सागर सेंचुरी के बीच कोरिडोर खत्म हो जाता और बाघ व अन्य वन्यजीव रणथम्भौर से रामगढ़ होते हुए कोटा के मुकुंदरा नहीं पहुंच पाते।
यह है सर्कुलर में
केन्द्र सरकार की ओर से जारी किए गए सर्कुलर में एनएचएआई व अन्य विभागों को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी व राष्ट्रीय उद्यानों के मार्ग में से हाइवे निर्माण नहीं करने के निर्देश दिए है। चाहे इससे हाइवे निर्माण के लिए बड़ा लम्बा मार्ग ही क्यों ना चुनना पड़े। अगर बहुत जरूरी हो तो भी राष्ट्रीय उद्यान, सेंचुरी व अभ्यारण्यों में सड़क निर्माण से पूर्व वन अधिनियम १९७२, फोरेस्ट कंजरर्वेशन एक्ट १९८० व पर्यावरण रक्षा अधिनियम १९८६ की ओर से जारी की गई गाइडलाइन की पालना आवश्यक है।
अब करनी होगी वैकल्पिक मार्गों की तलाश
केन्द्र सरकार की ओर से आदेश जारी होने के बाद एनएचएआई को एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए अन्य वैकल्पिक मार्गों का चयन करना होगा। इस संबंध में एनएचएआई के सेवानिवृत्त अधिकारी प्रवीण अरोड़ा का कहना है कि करीब सात साल पहले वन विभाग ने मुकुंदरा में टाइगर हैबिटाट के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पीछे से सड़क निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया था। इससे वन्यजीवों को डिस्टर्ब किए बिना हाइवे का निर्माण किया जा सकता था। हालांकि अब एनएचएआई हाइवे निर्माण के लिए अन्य विकल्पों की भी तलाश कर रही है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से बाघों के कोरिडोर प्रभावित होंगे और इससे बाघों के संरक्षण पर विपरीत असर पड़ेगा। इसे लेकर पत्रिका ने २५ दिसम्बर २०१८ के अंक में ‘दिल्ली-मुंबई के बीच नया एक्सप्रेस-वे बनेगा बाघों की राह में बाधाÓशीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले को उजागर किया था। इसके बाद केन्द्र सरकार ने एनएचएआई को इसके लिए आदेश जारी किए है।
&केन्द्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय उद्यानों व अभयारण्यों में से हाइवे निर्माण नहीं करने के आदेश जारी किए हैं। पूर्व में विभाग की ओर से एनएएआई को सड़क निर्माण की अनुमति नहीं थी।
अरिंदम तोमर, पीसीसीएफ, जयपुर