कई बार कैलादेवी जा चुका है बाघ : बाघ टी-80 पूर्व में भी कई बार रणथम्भौर से करौली के कैलादेवी अभयारण्य में जा चुका है। पहले बाघ बालेर रेंज के बिलवासा से करणपुर पहुंचा। इसके बाद यह बाघ नेनिया रेंज के रास्ते कैलादेवी अभयारण्य में पहुंच गया था।
इसलिए पड़ा तूफान नाम : इस बाघ को 8 अप्रेल 2014 को बालेर रेंज के बिलवासा के पास टे्रक किया गया था। बाघ ने अपनी तूफानी चाल से सभी को हैरत में डाल दिया था। 2016 में यह बाघ एक ही दिन में कैलादेवी की दो अलग-अलग रेंज में ट्रेक किया गया था। एक ही दिन में इतनी तेजी से इतनी अधिक दूरी तय करने पर बाघ को तूफान नाम से जाना जाने लगा।
इधर, खोह से बाहर नहीं आया बाघ
वहीं करौली के कैलादेवी अभयारण्य में बाघ टी-104 वन विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी हडिया की खोह से बाहर नहीं आ रहा है। वन विभाग की ओर से बाघ को जाल में फंसाने के लिए शिकार भी बांधा गया, लेकिन कोशिशें बेकार ही रही हैं। वन अधिकारियों की माने तो बाघ का मूवमेंट अभी भी हडिया की खोह में ही है।
वहीं करौली के कैलादेवी अभयारण्य में बाघ टी-104 वन विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी हडिया की खोह से बाहर नहीं आ रहा है। वन विभाग की ओर से बाघ को जाल में फंसाने के लिए शिकार भी बांधा गया, लेकिन कोशिशें बेकार ही रही हैं। वन अधिकारियों की माने तो बाघ का मूवमेंट अभी भी हडिया की खोह में ही है।