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रणथम्भौर के भूरी पहाड़ी पहुंचा ‘तूफान’, बाघ के पगमार्क मिले, वनकर्मी जुटे ट्रेकिंग में

locationसवाई माधोपुरPublished: Sep 17, 2019 08:25:32 pm

Submitted by:

Vijay Kumar Joliya

रणथम्भौर के भूरी पहाड़ी पहुंचा ‘तूफान’, बाघ के पगमार्क मिले, वनकर्मी जुटे ट्रेकिंग में

रणथम्भौर के भूरी पहाड़ी पहुंचा 'तूफान', बाघ के पगमार्क मिले, वनकर्मी जुटे ट्रेकिंग में

Ranthambore tiger toophaan

सवाईमाधोपुर. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के बार-बार एक इलाके से दूसरे इलाके में जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी कुछ ही दिन पूर्व ही रणथम्भौर से बाघ टी-104 ( Ranthambore tiger toophaan ) ने करौली के कैलादेवी अभयारण्य में पहुंचकर एक युवक का शिकार कर लिया था। अभी तक वन विभाग की टीम बाघ को टे्रंकुलाइज नहीं कर सकी है कि अब एक और बाघ करौली के जंगलों से होता हुआ वापस रणथम्भौर की ओर वापस दस्तक दे रहा है। वन विभाग को सोमवार को भूरी पहाड़ी वन क्षेत्र में बाघ के पगमार्क मिले हैं। इस बाघ के टी-80 होने के आसार जताए जा रहे हैं। हालांकि वन विभाग बाघ कौन सा है इसकी अभी पुष्टि नहीं कर रहा है।

कई बार कैलादेवी जा चुका है बाघ : बाघ टी-80 पूर्व में भी कई बार रणथम्भौर से करौली के कैलादेवी अभयारण्य में जा चुका है। पहले बाघ बालेर रेंज के बिलवासा से करणपुर पहुंचा। इसके बाद यह बाघ नेनिया रेंज के रास्ते कैलादेवी अभयारण्य में पहुंच गया था।

इसलिए पड़ा तूफान नाम :
इस बाघ को 8 अप्रेल 2014 को बालेर रेंज के बिलवासा के पास टे्रक किया गया था। बाघ ने अपनी तूफानी चाल से सभी को हैरत में डाल दिया था। 2016 में यह बाघ एक ही दिन में कैलादेवी की दो अलग-अलग रेंज में ट्रेक किया गया था। एक ही दिन में इतनी तेजी से इतनी अधिक दूरी तय करने पर बाघ को तूफान नाम से जाना जाने लगा।

इधर, खोह से बाहर नहीं आया बाघ
वहीं करौली के कैलादेवी अभयारण्य में बाघ टी-104 वन विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी हडिया की खोह से बाहर नहीं आ रहा है। वन विभाग की ओर से बाघ को जाल में फंसाने के लिए शिकार भी बांधा गया, लेकिन कोशिशें बेकार ही रही हैं। वन अधिकारियों की माने तो बाघ का मूवमेंट अभी भी हडिया की खोह में ही है।


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