पूछेंगे स्वाद कैसा है
बच्चों से दूध की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल किए जाएंगे। इस माह में जिले के शिक्षण संस्थानों में एक लाख 10 हजार बच्चों को स्कूल अवधि में प्रतिदिन दूध पिलाए जाने के अभियान की शुरूआत हो गई है। नामांकन के बाद बच्चों की बड़़ी संख्या के कारण बजट औसतन बढ़ाना पड़ा। विद्यालयों के संस्था प्रधानों को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि स्कूल खुलने की अवधि में बच्चों को प्रतिदिन दूध का सेवन कराना अनिवार्य है। इस दौरान शिक्षा विभाग की ओर से गठित जिला स्तरीय टीम भी पांच सितम्बर के बाद जिले के शिक्षण संस्थानों में जाकर खुद दूध की गुणवत्ता की जांच करेगी। इसके बाद बातचीत के बाद रिपोर्ट तैयार कर निदेशालय भेजी जाएगी।
बच्चों से दूध की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल किए जाएंगे। इस माह में जिले के शिक्षण संस्थानों में एक लाख 10 हजार बच्चों को स्कूल अवधि में प्रतिदिन दूध पिलाए जाने के अभियान की शुरूआत हो गई है। नामांकन के बाद बच्चों की बड़़ी संख्या के कारण बजट औसतन बढ़ाना पड़ा। विद्यालयों के संस्था प्रधानों को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि स्कूल खुलने की अवधि में बच्चों को प्रतिदिन दूध का सेवन कराना अनिवार्य है। इस दौरान शिक्षा विभाग की ओर से गठित जिला स्तरीय टीम भी पांच सितम्बर के बाद जिले के शिक्षण संस्थानों में जाकर खुद दूध की गुणवत्ता की जांच करेगी। इसके बाद बातचीत के बाद रिपोर्ट तैयार कर निदेशालय भेजी जाएगी।
महीने में दो बार जांच
एक सितम्बर से प्रदेश के सभी स्कूलों में सप्ताह में छह दिन दूध दिए जाने की शुरुआत होने के बाद अब माह में दो बार अनिवार्य रूप से इसके गुणवत्ता की जांच करानी होगी। हालांकि पहले की तरह स्कूलों में फीका दूध ही मिलेगा, लेकिन इस बार दूध की गुणवत्ता की जांच के लिए महीने में दो बार दूध की सैंपल लेकर जांच कराए जाने के निर्देश निदेशालय ने दिए है।स्कूलों में दूधपूर्ति की गुणवत्ता सही है, कम तो नहीं आता, बच्चों तक पहुंचने के दौरान रास्ते में दूध की गुणवत्ता प्रभावित तो नहीं होती। लेक्टोमीटर संस्था प्रधानों की ओर से खरीदा गया या नहीं, आदि की जांच की जाएगी।
एक सितम्बर से प्रदेश के सभी स्कूलों में सप्ताह में छह दिन दूध दिए जाने की शुरुआत होने के बाद अब माह में दो बार अनिवार्य रूप से इसके गुणवत्ता की जांच करानी होगी। हालांकि पहले की तरह स्कूलों में फीका दूध ही मिलेगा, लेकिन इस बार दूध की गुणवत्ता की जांच के लिए महीने में दो बार दूध की सैंपल लेकर जांच कराए जाने के निर्देश निदेशालय ने दिए है।स्कूलों में दूधपूर्ति की गुणवत्ता सही है, कम तो नहीं आता, बच्चों तक पहुंचने के दौरान रास्ते में दूध की गुणवत्ता प्रभावित तो नहीं होती। लेक्टोमीटर संस्था प्रधानों की ओर से खरीदा गया या नहीं, आदि की जांच की जाएगी।
संस्था प्रधानों को दिए निर्देश
&स्कूलों में छह दिन तक दूध पिलाने की अवधि की रिपोर्ट संस्था प्रधानों को प्रतिदिन दिए जाने के निर्देश दिए है। जल्द ही जिले के ब्लॉकों में इसकी जांच की जाएगी। करीब 90 प्रतिशत संस्था प्रधानों ने लेक्टोमीटर खरीद लिए है।
महेश शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
प्रारंभिक, सवाईमाधोपुर
&स्कूलों में छह दिन तक दूध पिलाने की अवधि की रिपोर्ट संस्था प्रधानों को प्रतिदिन दिए जाने के निर्देश दिए है। जल्द ही जिले के ब्लॉकों में इसकी जांच की जाएगी। करीब 90 प्रतिशत संस्था प्रधानों ने लेक्टोमीटर खरीद लिए है।
महेश शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
प्रारंभिक, सवाईमाधोपुर