3 वर्ष तक के बच्चे को प्रतिमाह 750 ग्राम, गर्भवती महिला, धात्री व किशोरी को 930 ग्राम के पोषाहार के पैकेट दिए जाते है। 750 ग्राम पैकेट के 33.75 व 930 ग्राम पैकेट के 41.85 रुपए सरकार की ओर से देय है। ऐसे में औसतन एक स्वयं सहायता समूह को प्रतिमाह 6 हजार रुपए पोषाहार के रूप में दिए जाते है।
एक अप्रेल से बढ़ी थी राशि
सरकार ने समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए साप्ताहिक पूरक विकेन्द्रीकरण पोषाहार की राशि में एक अप्रेल से बढ़ोतरी की थी।
इसके तहत साप्ताहिक पूरक विकेन्द्रीकरण पोषाहार की राशि 45 रुपए किलो के बजाय बाजार में सामान की बढ़ी हुई दरों 60 रुपए किलो के अनुसार देने का निर्णय किया था। वहीं केन्द्रों पर बालकों को बनने वाले गरम पोषाहार 3 रुपए किलो के बजाय 3.50 पैसे प्रति बालकों को राशि तय की गई थी।
यह है स्वयं सहायता समूह
प्रदेश में प्रत्येक जिले में पांच से दस महिलाओं के करीब 2100 समूह बने हुए है। ये समूह सरकार की विभिन्न योजनाओं में अपनी भूमिका निभा रहे है।
चाहे योजनाओं का प्रचार हो या फिर पोषाहार बनाने और उनके वितरण की जिम्मेदारी हो। विभाग की मर्जी से ठेके पर इन समूहों की महिला प्रतिनिधि ही पोषाहार बनाने की जिम्मेदारी निभा रही है। इस एवज में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से इन्हें पोषाहार बनाने का भुगतान किया जाता है।
जिले में कुल 1094 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित
22 हजार 186 पंजीकृत गर्भवती व धात्री महिलाएं
2019 किशोरियां पंजीकृत
3 वर्ष तक पंजीकृत बालक 43 हजार 377
3 से 6 वर्ष पंजीकृत बालक 20 हजार
प्रतिमाह स्वयं सहायता समूह को राशि 6 हजार
बौंली परियोना में अधिकारी नहीं बैठने के कारण समूह की राशि लम्बे समय से अटकी हुई है। पिछले पांच महीने से उधारी से पोषाहार चलाया जा रहा है। जल्द ही बकाया राशि का भुगतान होने का इंतजार है।
गरिमा राजावत, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मलारना चौड़
मैने अभी अगस्त में ही कार्यभार ग्रहण किया है। आहरण एवं वितरण अधिकारी का पॉवर नहीं मिला है। शीघ्र ही बकाया राशि का भुगतान कराने के प्रयास किए जाएंगे।
इन्द्रा शर्मा , महिला एवं बाल विकास अधिकारी बौंली।