अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले गंभीर मरीजों के तीमारदारों को स्वयं ही स्ट्रेचर खींचने में सहयोग करना पड़ता है। व्हील चेयर भी निर्धारित स्थान पर उपलब्ध नहीं हो पाती है। साथ ही अन्य कई प्रकार की समस्याएं भी वार्ड में सामने आती हैं। जानकारी के अनुसार सामान्य चिकित्सालय का दर्जा 1०० बेड से 15० बेड कर दिया गया। साथ ही गत बजट में 2०० बैड करने की घोषणा भी कर दी गई, लेकिन इधर वार्ड बॉय के पदों में बढ़ोतरी होने के स्थान पर आधे पद खाली पड़े हुए हैं।
पद पूरे, बेड बढ़ाने की दरकार
वजीरपुर . सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर वर्तमान में चिकित्साकर्मियों के पद तो भरे हुए हैं, लेकिन मरीजों को और सहूलियत देने के लिहाज से यहां अस्पताल में बेड बढ़ाए जाने की जरूरत है। लोगों का कहना है कि मौसमी बीमारियों के सीजन में यहां मरीजों की अधिकता रहती है। ऐसे में बेड कम पड़ जाते हैं। फिलहाल सीएचसी की 30 बेड की है, जिसे 50 बेड की करने की जरूरत है।
यह बोले लोग
वजीरपुर सीएचसी फिलहाल 30 बेड की है। बड़ा क्षेत्र और मरीजों की अधिकता रहने के कारण इसे 50 बेड का किया जाना चाहिए। इससे मरीजों को खासी सहूलियत मिलेगी। बेड़ बढऩे से आसपास के गांवों के लोगों को सुविधा मिलेगी।
– जुल्फिकार अली भुट्टो, निवासी वजीरपुर
कम्पाउंडरों के रिक्त पद बढ़ा रहे मर्ज
बामनवास. उपखण्ड मुख्यालय के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सहित क्षेत्र के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रिक्त चल रहे कम्पाउंडरों के पदों से रोगियों को इन संस्थानों पर समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मेल नर्स के प्रथम एवं द्वितीय ग्रेड के एक-एक पद रिक्त हैं। इसके चलते एक शिफ्ट में केवल एक ही कम्पाउंडर मौजूद रह पाता है। ऐसी स्थिति में उसे ही आउटडोर तथा वार्ड में भर्ती रोगियों की देखभाल करनी पड़ती है। कई बार आउटडोर में व्यस्त रहने अथवा कोई इमरजेंसी आ जाने की स्थिति में वार्ड में भर्ती रोगियों को कम्पाउंडर का घंटों इंतजार करना पड़ जाता है।