सवाई माधोपुर

रणथम्भौर टाइगर बाल मेले में दिखाई प्रतिभा

रणथम्भौर टाइगर बाल मेले में दिखाई प्रतिभा

सवाई माधोपुरFeb 23, 2018 / 11:28 pm

Abhishek ojha

कुण्डेरा के निजी विद्यालय में हुए कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थी।

कुण्डेरा.किड्स फॉर टाइगर संस्था के तत्वावधान में गुरुवार को कुंडेरा स्थित एक निजी विद्यालय में रणथम्भौर टाइगर बाल मेले का आयोजन हुआ। संस्था के समन्वयक गोवर्धन मीणा ने बताया कि इसमें मुंबई की ओबराय इंटरनेशनल स्कूल के 110 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
छात्र-छात्राओं ने ग्रामीण बच्चों के साथ मिलकर खेल खेले। स्थानीय स्कूल के विद्यार्थियों ने वन्यजीवों पर आधारित नुक्कड़ नाटक भी आयोजित किया। ओबरॉय स्कूल के अध्यापकों ने स्थानीय बच्चों को जल, जंगल व जमीन के बारे में खेलों के माध्यम से समझाया।
बच्चों को बाघ संरक्षण का संकल्प भी दिलाया गया। इस दौरान अमित, गौरव तेजस, जगदीश प्रसाद शर्मा, कालूराम मीणा व हीरा लाल मीणा आदि मौजूद थे।

लोककथा : बकरे की जीभ
दास प्रथा के दिनों में एक मालिक के पास अनेक गुलाम हुआ करते थे। उन्हीं में से एक था लुकमान। लुकमान था तो सिर्फ एक गुलाम, लेकिन वह बड़ा ही चतुर और बुद्धिमान था। उसकी ख्याति दूरदराज के इलाकों में फैलने लगी थी। एक दिन इस बात की खबर उसके मालिक को लगी। मालिक ने लुकमान को बुलाया और कहा- ‘सुनते हैं कि तुम बहुत बुद्धिमान हो। मैं तुम्हारी बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहता हूं।
अगर तुम इम्तिहान में पास हो गए तो तुम्हें गुलामी से छुट्टी दे दी जाएगी। जाओ, एक मरे हुए बकरे को काटो और उसका जो हिस्सा बढिय़ा हो, उसे ले आओ।’ लुकमान ने आदेश का पालन किया और मरे हुए बकरे की जीभ लाकर मालिक के सामने रख दी। कारण पूछने पर कि जीभ ही क्यों लाया, लुकमान ने कहा- ‘अगर शरीर में जीभ अच्छी हो तो सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है।
’ मालिक ने आदेश देते हुए कहा- ‘अच्छा! इसे उठा ले जाओ और अब बकरे का जो हिस्सा बुरा हो उसे ले आओ।’ लुकमान बाहर गया। लेकिन थोड़ी ही देर में उसने उसी जीभ को लाकर मालिक के सामने फिर रख दिया। कारण पूछने पर लुकमान ने कहा- ‘अगर शरीर में जीभ अच्छी नहीं तो सब बुरा ही बुरा है।’ उसने आगे कहा- ‘मालिक! वाणी तो सभी के पास जन्मजात होती है, परन्तु बोलना किसी-किसी को ही आता है।
क्या बोलें, कैसे शब्द बोलें, कब बोलें… इस कला को बहुत ही कम लोग जानते हैं। एक बात से प्रेम झरता है, और दूसरी बात से झगड़ा होता है। इस जीभ ने ही दुनिया में बड़े-बड़े कहर ढाये हैं।’ मालिक, लुकमान की बुद्धिमानी और चतुराई भरी बातों को सुनकर बहुत खुश हुए। आज उनके गुलाम ने उन्हें एक बहुत बड़ी सीख दी थी। उन्होंने उसे आजाद कर दिया।

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