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दो नावों पर मेलार्थियों को पार उतारने का जिम्मा

locationसवाई माधोपुरPublished: Nov 11, 2019 12:18:17 pm

Submitted by:

Vijay Kumar Joliya

अनदेखी: लक्खी मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा भगवान भरोसे
 

दो नावों पर मेलार्थियों को पार उतारने का जिम्मा

Triveni Sangam at Parshuram Ghat

खण्डार. खण्डार कस्बे से 18 किमी दूर चम्बल, बनास व सीप नदी के किनारे त्रिवेणी संगम परशुराम घाट पर स्थित पांच दिवसीय कार्तिक पूर्णिमा लक्खी मेले में करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं का भार मात्र दो नावों पर है। ऐसे में राजस्थान में स्थित रामेश्वर धाम से दूसरे छोर पर मध्यप्रदेश स्थित रामेश्वर धाम तक चम्बल में नाव के रास्ते जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा अधर में है।

इसके बाद भी प्रशासन की ओर से मेले के दौरान अतिरिक्त नावों की व्यवस्था नहीं की गई है। ग्रामीणों ने बताया कि रामेश्वर धाम में चतुर्दशी की शाम से ही श्रद्धालुओं, पैदल यात्रियों का मंदिर परिसर में पहुंचना शुरू हो जाएगा। मंदिर महंत के अनुसार पूर्णिमा के दिन करीब 2 से 3 लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करते है। ऐसे में वे दोनों मंदिरों में दर्शन के लिए करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु नाव से नदी पार करते हंै, लेकिन नावों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से लोगों की जान जोखिम में रहने की संभावना है।

क्यों जाते हैं मध्यप्रदेश
रामेश्वर धाम में दर्शन करने आए श्रद्धालु रामअवतार जाट, मोहन चौधरी, हनुमान चौधरी आदि ने बताया कि मध्यप्रदेश स्थित रामेश्वर धाम मेले में पशुओं के लोहे के घंटे, सजावटी सामान, स्टील, पीतल के बर्तन अन्य खरीदारी के लिए वहां अच्छा व सस्ता बाजार लगता है। ऐसे में खरीदारी के लिए लोग दूसरे छोर स्थित रामेश्वर धाम जाते हैं, जबकि राजस्थान स्थित रामेश्वर धाम मेले में भगवान चतुर्भुज नाथ के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।

त्रिवेणी संगम पर रहता है हादसे का अंदेशा
यहां चम्बल, बनास व सीप नदियों के संगम स्थल पर पानी की गहराई अधिक होने से यहां हर समय हादसे का अंदेशा रहता है। इतना ही नहीं यहां पर पानी की गहराई के चलते पानी में भंवर पड़ता है। ऐसे में गहरे पानी में डूबने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसी संगम से नावों का संचालन किया जाता है। थोड़ी सी लापरवाही हादसे का सबब बन सकती है।
गत वर्ष मेले में थी चार नाव
रामेश्वर धाम मेले में गत वर्ष यात्रियों को चम्बल पार कराने के लिए चार नावें थी। इसके अलावा मध्यप्रदेश से भी करीब 4-5 नावें थी, लेकिन इस वर्ष अभी तक मध्यप्रदेश की ओर से नावों के संबंध पंचायत व पुलिस प्रशासन को किसी प्रकार की सूचना नहीं मिली है।
40-40 यात्रियोंं की है क्षमता
जिला परिवहन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में रामेश्वर में लोहे के दो स्टीमर है। इसमें 40-40 यात्रियों की बैठने की क्षमता है। ऐसे में डेढ़ लाख श्रद्धालुओं का भार दो स्टीमर पर रहेगा।
वर्तमान में 4 नाव, 2 अनफिट
सरपंच ने बताया कि नाव ठेकेदारों के पास वर्तमान में चार नाव हैं, लेकिन जिला परिवहन अधिकारी ने दो नावों को ही संचालन के लिए फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया है। जबकि दो को फिटनेस नहीं देने से उन्हें प्रशासन की बिना अनुमति के नहीं चला सकते है। सरपंच का कहना है कि जिला परिवहन अधिकारी ने एसडीएम या तहसीलदार द्वारा अपने स्तर पर फिटनेस देने पर नावों का संचालन करने की बात कही है।
सुरक्षा व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा
ग्रामीण सियाराम मीणा, सम्पत सिंह, राधेश्याम आदि ने बताया कि पांच दिवसीय लक्खी मेले के दौरान चतुर्दशी की शाम से व पूर्णिमा रात तक करीब पांच लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने पहुंचते है, लेकिन श्रद्धालुओं की तुलना में दो थानों व 50 अतिरिक्त जाप्ता सुरक्षा की दृष्टि से ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। उन्होंने जिला कलक्टर व एसपी से और जाप्ता लगाने की मांग की है।
फिलहाल परिवहन विभाग ने दो नावों के ही संचालन के लिए फिटनेस जारी किया है और नई नाव आते ही आवश्यकता अनुसार तुरंत फिटनेस देकर संचालन शुरू कर देंगे। एमपी की ओर से अभी हमारे पास नावों के संचालन की कोई जानकारी नहीं है। यात्रियों को असुविधा नहीं होने देंगे।
रतन लाल अटल, एसडीएम खण्डार
रामेश्वर मेले के लिए दो नावों की फिटनेस जारी की है। मुझे फिलहाल अधिक जानकारी नहीं है। रिकॉर्ड देखकर ही बता सकता हूं।
महेशचंद मीणा, जिला परिवहन अधिकारी सवाईमाधोपुर

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