अधिकारियों के अभाव में जिला मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए तीन साल पहले यह कवायद शुरू की थी। जिले की हर पंचायत समिति
पर सामाजिक सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किए जाने थे। वर्तमान में जिला मुख्यालय पर ही एक मात्र समाज कल्याण अधिकारी होने से योजनाओं के प्रभावी संचालन में परेशानी हो रही है। ब्लॉक स्तर पर योजनाओं की प्रभावी क्रियान्विति के लिए ये अधिकारी लगाए जाने थे, लेकिन अभी तक नतीजा
शून्य है। विकास अधिकारी देख रहे काम वर्तमान में विकास अधिकारी ही ब्लॉक स्तर पर पंचायत समितियों का काम देख रहे हैं लेकिन विकास अधिकारियों के जिम्मे मनरेगा सहित आदि कई कार्य होने से वे समाज कल्याण विभाग की योजनाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में योजनाओं के प्रभावी संचालन में परेशानी हो रही है।
ये है योजनाएं विभाग की ओर से वृद्धजनों व निशक्तजनों को पेंशन योजना संचालित हैं। इसमें ६५ वर्ष तक के लोगों को पांच सौ व ७५ वर्ष से अधिक के वृद्ध लोगों को ७५० रुपए मासिक देने का प्रावधान है।
विधवा की पुत्री पर १५ हजार, अन्तरजातीय विवाह योजना में पांच लाख, जिसमें २.५० लाख की एफडी व २.५० लाख नगद अनुदान, उत्तर मैट्रिक छात्रवृति, नि:शक्तों का विवाह होने पर एक जना निशक्त होने पर छह माह में आवेदन करने पर २५ हजार का अनुदान, बीपीएल परिवारों के बच्चों को पढ़ाई के लिए छात्रवृति देने का नियम है, लेकिन
ग्रामीण इलाकों में अशिक्षा के चलते लोगों को इन योजनाओं की जानकारी ही नहीं है। ऐसे में लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नियम आ जाते है आड़े समाज कल्याण विभाग पेंशन, छात्रवृति सहित आदि कई योजनाओं का संचालन करता है। पेंशन व छावृत्तियों के लिए सैंकड़ों आवेदन आते हैं, लेकिन कागजी खानापूर्ति में आमजन की मदद नहीं होने के चलते कागजों में कई खामियां रह जाती है। ऐसे में कई बार आवेदन अटक जाते हैं। राजपत्रित अधिकारियों से सत्यापन में भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।
&राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा अधिकारी लगाने की योजना है, लेकिन अब तक इनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। आने वाले समय में जल्द ही सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
महेन्द्र मीणा, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग