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खास खबर… मधु की मिठास सात समुद्र पार, खाड़ी देशों में हमारे सरसों के शहद की मांग अधिक

locationसवाई माधोपुरPublished: Nov 26, 2021 12:18:49 pm

Submitted by:

rakesh verma

 
खास खबर…मधु की मिठास सात समुद्र पार, खाड़ी देशों में हमारे सरसों के शहद की मांग अधिक
कोविड के बाद बढ़ी मांग, सेहत के साथ समृद्धि के द्वार खोल रहा शहद कारोबारसरकार से सम्‍बल की दरकार
 

 खास खबर... मधु की मिठास सात समुद्र पार, खाड़ी देशों में हमारे सरसों के शहद की मांग अधिक

खास खबर…मधु की मिठास सात समुद्र पार, खाड़ी देशों में हमारे सरसों के शहद की मांग अधिक


खास खबर…
मधु की मिठास सात समुद्र पार, खाड़ी देशों में हमारे सरसों के शहद की मांग अधिक
कोविड के बाद बढ़ी मांग, सेहत के साथ समृद्धि के द्वार खोल रहा शहद कारोबार
सरकार से सम्‍बल की दरकार
रमेश शर्मा
अजमेर
मधु की मिठास सेहत सुधारती है, जीवन संवारती है साथ ही समृद्धि के द्वार भी खोलती है। राजस्‍थान की वनस्‍पति की विविधता ने शहद के कारोबार को सात समंदर पार फैलाया है और आत्‍मनिर्भता की नई इबारत लिखी जा रही है। शहद के प्राकृतिक एंटीबायोटि‍क औषधीय गुण कारोबार को साल दर साल बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। कोविड के बाद सेहत की चिंता में इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए इसका उपयोग बढ़ गया है। इसने नई उम्‍मीद जगाई है। सरकार से भी सम्‍बल मिले तो शहद उत्‍पादन करने वाले हजारों किसानों और उपभोग करने वाले करोड़ों लोगों का जीवन में मिठास घुल सकती है।
देश ही नहीं एशिया, यूरोप, अफ्रीका महाद्वीप के अनेक देशों सऊदी अरब और संयुक्‍त अरब अमीरात में सरसों वाले शहद की एक खास पहचान है। शहद के बेजोड़ गुणों के कारण सभी धर्मो में इसकी बेहद मान्‍यता है। इसीलिए भारत की बजाए विदेशों में इसकी खपत बहुत अधिक है। देशी-विदेशी ख्‍यातनाम कंपनियों के विभिन्‍न उत्पादों में यहां का शहद काम आता है या उनके ब्रांड से बिकता है। खाड़ी देशों में सरसों के शहद की मांग अधिक है।

राजस्‍थान बन रहा हब, भरतपुर ‘हनी बाउल’
राजस्‍थान शहद उत्पादन का हब बन रहा है। जानकारों के अनुसार वर्तमान में राजस्‍थान में करीब 12 हजार मीट्रिक टन शहद उत्‍पादन हो रहा है। इसमें अकेले भरतपुर में इस वर्ष 3,520 मीट्रिक टन उत्‍पादन रहा। इसे अब ‘हनी बाउल’ यानी शहद का कटोरा भी कहा जाने लगा है। भरतपुर के अलावा देश के प्रमुख शहद उत्‍पादक जिलों में पूर्वी चंपारण बिहार, मुरैना मध्‍य प्रदेश, सुंदरवन पश्चिमी बंगाल हैं। राजस्‍थान में अलवर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर आदि जिलों में सरसों की अच्‍छी बुवाई के कारण मधुमक्खी पालन बेहद आसान है। कोटा संभाग, चित्‍तौड़गढ़, उदयपुर आदि जिलों में धनिया और आजवाइन आदि की बुवाई के चलते इसका शहद अच्‍छा बनता है।
मुनाफे की डगर
भरतपुर जिले की वैर तहसील के गांव नैवाड़ा निवासी मधुमक्खी पालक प्रगतिशील किसान अमर सिंह बताते हैं कि उन्‍होंने मधुमक्खी पालन 1998 में शुरू किया। लुपिन संस्‍था से प्रशिक्षण लेकर शुरूआत 16 बी-बॉक्स से की। वर्तमान में उनके पास करीब दो हजार बी-बॉक्‍स हैं और करीब 70 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हो रहा है। इस रॉ मटेरियल से ही वह करीब 35 लाख रुपए आय ले लेते हैं। अब अमर सिंह ने मिनी हनी प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया है।
प्राकृतिक एंटीबायोटि‍क
शहद पूर्णत: प्राकृतिक एंटीबायोटि‍क औषधि है, जो स्‍वास्‍थ्‍य और सुंदरता दोनों सुख देती है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण के साथ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, ज़िंक, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और सोडियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होते हैं और टॉक्सिन्स बाहर निकालते हैं।
वरीयता वाली फसलें
सरसों, धनिया, सौंफ, बरसीम, यूकेलिप्टस, बेर, शीशम, नीम, खेजड़ी, बाजरा, बांस, लीची, केर, जामुन, कपास आदि के पुष्‍पों से मधुमक्खियां शहद बनती हैं।
सरकार से दरकार
– कृषि आधारित लघु उद्योग का दर्जा मिले।
– सरकार भरतपुर में बी-कीपिंग का रीजनल ट्रेनिंग सेंटर खोले।
– सरसों अनुसंधान निदेशालय में ट्रेनिंग शुरू की जाए
– भरतपुर में हनी टेस्टिंग लैब स्थापित की जाए।
– प्रोसेसिंग प्लांट लगाने में सरकार मदद करे।
– शहद पर भी न्‍यूनत समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) तय हो।
– बच्‍चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मिडडे मील में शामिल किया जाए।
राजस्‍थान में शहद उत्‍पादन मीट्रिक टन
वर्ष 2013-14 …. 1800
वर्ष 2014-15 …. 2200
वर्ष 2015-16 …. 4600
वर्ष 2016-17 …. 6000
वर्ष 2017-18 …. 70500
वर्ष 2018-19 …. 10500
वर्ष 2019-20 ….11500
वर्ष 2020-21 …. 12000

इनका कहना है
मधुमक्खी पालन कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाला व्यवसाय है। भरतपुर में सरसों की अच्छी पैदावार के चलते इसकी बड़ी संभावनाएं हैं।
– भीम सिंह, प्रोग्राम मैनेजर लुपिन संस्था भरतपुर

राजस्‍थान में मधु उत्‍पादन निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2018-19 में ही दस हजार 500 मीट्रिक टन शहद उत्‍पादन हुआ था। मधुमक्‍खी पालन के लिए प्रति बॉक्‍स 40 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है।
डॉ रमाकान्त शर्मा, प्रसार वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्‍द्र
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