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VIDEO तीन साल, तीन टाइगर रिजर्व विस्थापन एक भी नहीं

locationसवाई माधोपुरPublished: Jun 16, 2019 12:50:53 pm

Submitted by:

rakesh verma

प्रदेश के टाइगर रिजर्व में विस्थापन की कछुआ चाल वन्य जीवों को नहीं मिल पा रहा पर्याप्त पर्यावास

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सवाईमाधोपुरदेश भर में बाघों के कुनबे को बढ़ाने के लिए अरबो रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन राजस्थान के टाइगर रिजर्व में अधिकारियों के उदासीन रवैए के चलते यहां बाघों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। बाघों व अन्य वन्य जीवों को पर्याप्त पर्यावास उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से विस्थापन योजना शुरू की गई थी। इसके तहत प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बाघ परियोजना क्षेत्र के आस-पास बसे गांवों को अन्यत्र विस्थापित किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन प्रदेश के तीनों ही टाइगर रिजर्व में सालों बाद भी सरकार की विस्थापन योजना परवान नहीं चढ़ सकी है। आलम यह है कि पिछले तीन सालों में प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में एक भी गांव को विस्थापित नहीं किया जा सका है। वहीं रणथम्भौर में अब तक कुल पांच, सरिस्का में 3 व मुकुंदरा में एक पूर्ण व एक गांव का आंशिक विस्थापन किया जा सका है।
बाघों को नहीं मिल रहा पर्याप्त पर्यावास
विस्थापन प्रक्रिया की गति धीमी होने के कारण टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे गांवों का अब तक विस्थापन नहीं किया जा सका है। ऐसे में बाघों को पर्याप्त पर्यावास नहीं मिल पा रहा है और जंगल में मानवीय दखल के कारण भी वन्यजीव डिस्टर्ब हो रहे हैं। इससे वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
विस्थापन की धीमी रफ्तार
गत दिनों जयपुर में हुई विस्थापन कमेटी की बैठक में वन विभाग के अधिकारियों ने भी विस्थापन की प्रक्रिया को धीमा करार दिया था। साथ ही विस्थापन के लिए जल्द सर्वे कराने के निर्देश भी दिए थे। इसी प्रकार उच्च न्यायालय ने भी गत दिनों वन अधिकारियों व सरकार को बाघ परियोजना से सटे गांवों का विस्थापन नहीं होने पर फटकार लगाई थी।
आबादी क्षेत्र में बढ़ रही बाघों की पदचाप
गांवों के विस्थापित नहीं हो पाने के कारण जंगल से सटे गांवों में आबादी क्षेत्र में बाघों व अन्य वन्यजीवों की पदचाप बढ़ रही है। आए दिन बाघ व अन्य वन्यजीव जंगल से बाहर निकलकर शिकार व पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र का रुख कर रहे हैं। गत दिनों रणथम्भौर में बाघिन टी-8 लाडली का एक शावक पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र के निकट पहुंच गया था।
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रणथम्भौर बाघ परियोजना….
1734 वर्ग किमी रणथम्भौर का कुल क्षेत्रफल
392 वर्ग किमी कोर एरिया
1342 किमी बफर एरिया
2008 में सीटीएच का निर्माण
62 गांव है रणथम्भौर बाघ परियोजना में
5 गांवों का किया गया है अब तक विस्थापन
966 परिवार हुए हैं अब तक विस्थापित
96.66 करोड़ का दिया जा चुका है मुआवजा
23 गांवों को जल्द किया जाना है विस्थापित
2002 में शुरू हुई थी विस्थापन की प्रक्रिया
जुलाई 2017 में हुआ था अंतिम विस्थापन
सरिस्का टाइगर रिजर्व
1955 में सरिस्का को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला
2008 में शुरू हुई विस्थापन की प्रक्रिया
866 वर्ग किमी है सरिस्का का कुल क्षेत्रफल
29 गांवों का किया जाना है विस्थापन
3 गांवों को किया जा सका है विस्थापित
6 गांवों को जल्द किया जाएगा विस्थापित
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
1955 में अभयारण्य का मिला दर्जा
10 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व का मिला दर्जा
759.99 वर्ग किमी है मुकुंदरा का कुल क्षेत्रफल
417 वर्ग किमी है कोर एरिया
342.82 वर्ग किमी है बफर एरिया
14 गांवों का किया जाना है विस्थापन
1 गांव का पूर्ण विस्थापन किया जा सका है
इनका कहना है….
यह सही है कि पिछले दो तीन सालों से प्रदेश के टाइगर रिजर्व के आस-पास के एक भी गांव का विस्थापन नहीं किया जा सका है। इस संबंध में गत दिनों जयपुर में कमेटी के साथ बैठक भी हुई थी। अब जल्द ही तीनों जिलों के जिला कलक्टर से चर्चा कर विस्थापन की प्रक्रि या को फिर से शुरू किया जाएगा।
– अरिंदम तोमर, पीसीसीएफ, जयपुर
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