VIDEO ड्रोन कैमरोंं से बाघ- बाघिन पर नजर
सवाई माधोपुरPublished: May 24, 2019 12:16:04 pm
हवा में ड्रोन कैमरों से की जा रही वन्यजीवों की ट्रैकिंग बाघ- बाघिन की लोकेशन ट्रेस करने में कर रहे उपयोग
सवाईमाधोपुर.रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघ- बाघिन व अन्य वन्यजीवों की ट्रैकिंग के लिए अब वन विभाग की ओर से आधुनिक तकनीकोंं का उपयोग किया जा रहा है। इसी क्रम में अब विभाग की ओर से बाघ व अन्य वन्यजीवों की लोकेशन ट्रेस करने के लिए ड्रोन कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि फिलहाल वन विभाग के पास एक ही ड्रोन कैमरा है लेकिन जल्द ही ड्रोन कैमरो की संख्या में इजाफा होने की संभावना है।
खेतों में लोकेशन करते हैं ट्रेस
ड्रोन कैमरों की सहायता से ऐसे क्षेत्रों में जहां मानव की पहुंच आसानी से ना हो और बाघ- बाघिन या अन्य वन्यजीव झाडिय़़ां आदि के चलते दिखाई नहीं दे रहा हो ऐसे स्थानोंं पर बाघ बाघिनों की सही लोकेशन को ट्रेस करने के लिए विभाग की ओर से अब ड्रोन कैमरो की मदद ली जा रही है।
टी-104 को किया था ट्रेस
पूर्व में कुण्डेरा गांव में महिला पर हमला करने के बाद सरसों के खेत में चले गए बाघ की लोकेशन को ट्रेस करने के लिए वन विभाग ने ड्रोन कैमरों का सहारा लिया था। ड्रोन कैमरों में बाघ की लोकेशन ट्रेस होने के बाद ही वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रेकुलाइज कर जंगल में छोड़ा था।
किराए पर मंगाए जा रहे ड्रोन कैमरे
विभाग के पास वर्तमान में एक ही ड्रोन कैमरा है। जरूरत पडऩे पर विभाग की ओर से ड्रोन कैमरे की सहायता से वन्यजीवों की लोकेशन ट्रेस की जाती है। लेकिन एक से अधिक ड्रोन कैमरो की आवश्यकता होने पा विभाग की ओर से किराए पर ड्रोन कैमरे मंगवाए जा रहे हैं। ड्रोन कैमरे कम होने के कारण वन विभाग को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
चार ड्रोन कैमरे और आएंगे
ड्रोन कैमरों की उपयोगिता व आवश्यकता को देखते हुए विभाग की मंशा अब ड्रोन कैमरों की संख्या में इजाफा करने की है। वन विभाग की ओर से इस संबंध में उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव भी भेजा गया है। वन अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल एक ओर ड्रोन कैमरा मंगवाया जा रहा है। इसके बाद जल्द ही तीन ड्रोन कैमरे और मंगवाए जाएंगे।
इनका कहना है….
बाघ- बाघिनों की लोकेशन टे्रस करने में ड्रोन कैमरे कारकर साबित हो रहे हैं। ड्रोन कैमरों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव भी भेजा गया है।
– मनोज पाराशर, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर