जल्द शिफ्टिंग की जरूरत-वन विभाग
वन विभाग की ओर से अब तक किए मंथन में सामने आया है कि रणथम्भौर में बाघों की जल्द शिफ्टिंग की जरूरत है। बाघों को मुकुंदरा या सरिस्का अभयारण्य में भेजना ही होगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि इन जगहों पर बाघ शिफ्टिंग मुफीद नहीं है। फिर भी वनाधिकारी मानते हैं कि रणथम्भौर में जैसी स्थिति बन रही है, उससे अच्छा दूसरे अभयारण्यों में शिफ्टिंग करना है। कम से कम वे इंसानों को तो नहीं मारेंगे।
वन विभाग की ओर से अब तक किए मंथन में सामने आया है कि रणथम्भौर में बाघों की जल्द शिफ्टिंग की जरूरत है। बाघों को मुकुंदरा या सरिस्का अभयारण्य में भेजना ही होगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि इन जगहों पर बाघ शिफ्टिंग मुफीद नहीं है। फिर भी वनाधिकारी मानते हैं कि रणथम्भौर में जैसी स्थिति बन रही है, उससे अच्छा दूसरे अभयारण्यों में शिफ्टिंग करना है। कम से कम वे इंसानों को तो नहीं मारेंगे।
जल्द एक्शन ले राज्य सरकार
रणथम्भौर में पिछले एक साल में इंसानों पर हमले की घटनाएं काफी बढ़ी हैं। राज्य सरकार को इस बारे में तत्काल एक्शन लेना चाहिए। बाघ व इंसान दोनों जरूरी है। दोनों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। मैं भी एनटीसीए की बैठक में अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को रखूंगी। साथ ही रणथम्भौर व आसपास के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रस्ताव स्वीकृत कराने का भी प्रयास करूंगी।
दीया कुमारी, सदस्य, एनटीसीए
रणथम्भौर में पिछले एक साल में इंसानों पर हमले की घटनाएं काफी बढ़ी हैं। राज्य सरकार को इस बारे में तत्काल एक्शन लेना चाहिए। बाघ व इंसान दोनों जरूरी है। दोनों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। मैं भी एनटीसीए की बैठक में अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को रखूंगी। साथ ही रणथम्भौर व आसपास के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रस्ताव स्वीकृत कराने का भी प्रयास करूंगी।
दीया कुमारी, सदस्य, एनटीसीए
वन विभाग से मांगी रिपोट…
रणथम्भौर में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं। वह काफी चिंताजनक है। इस बारे में वन विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। इसमें निर्देश दिए हैं कि रणथम्भौर में जिस तरह की घटनाएं हो रही है, उनको कैसे रोका जाए। विस्तृत कार्ययोजना बनाकर समाधान पर चर्चा की जाएगी। जिला प्रशासन भी इसके लिए काफी चिंतित है।
डॉ. एसपी सिंह, जिला कलक्टर, सवाईमाधोपुर
रणथम्भौर में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं। वह काफी चिंताजनक है। इस बारे में वन विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। इसमें निर्देश दिए हैं कि रणथम्भौर में जिस तरह की घटनाएं हो रही है, उनको कैसे रोका जाए। विस्तृत कार्ययोजना बनाकर समाधान पर चर्चा की जाएगी। जिला प्रशासन भी इसके लिए काफी चिंतित है।
डॉ. एसपी सिंह, जिला कलक्टर, सवाईमाधोपुर
अधिकारी संवेदनशील होकर करें कार्य
राज्य सरकार इस मामले को लेकर काफी गंभीर है। रणथम्भौर में वन विभाग के अधिकारियों को संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है। बाघों की संख्या बढ़ रही है तो उनके निराकरण के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। विस्थापित ग्रामीणों की समस्याओं का हल होना चाहिए। जंगल के निकट बसे ग्रामीणों से संवाद कायम करना चाहिए। वहीं टाइगर की मॉनिटरिंग होनी चाहिए, ताकि हमले जैसी घटनाएं ना हो। पैकेज राशि बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार से मांग की जाएगी।
दानिश अबरार, विधायक, सवाईमाधोपुर
राज्य सरकार इस मामले को लेकर काफी गंभीर है। रणथम्भौर में वन विभाग के अधिकारियों को संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है। बाघों की संख्या बढ़ रही है तो उनके निराकरण के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। विस्थापित ग्रामीणों की समस्याओं का हल होना चाहिए। जंगल के निकट बसे ग्रामीणों से संवाद कायम करना चाहिए। वहीं टाइगर की मॉनिटरिंग होनी चाहिए, ताकि हमले जैसी घटनाएं ना हो। पैकेज राशि बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार से मांग की जाएगी।
दानिश अबरार, विधायक, सवाईमाधोपुर
सुधारात्मक कदम उठाने होंगे
रणथम्भौर में जो स्थिति उत्पन्न हो रही है। उसको लेकर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। इसके लिए उपखण्ड स्तर के गांवों एवं जंगल की स्थिति को देखते हुए एक सुधारात्मक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसे जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
रघुनाथ, उपखण्ड अधिकारी
निर्णयों में अदूरदर्शिता
टाइगर मामलों को लेकर जयपुर वन कार्यालय की निर्णय में बहुत देरी की जा रही है। इसके चलते स्थिति विकट हो रही है। रेंज अधिकारियों के तबादले में भी सही निर्णय नहीं किए जा रहे। एक ही रेंज में एक साल में आधा दर्जन रेंज अधिकारी बदल दिए। रेंज अधिकारियों को एरिया देखने को मौका ही नहीं मिल रहा। रेंज कड़ी को मजबूत कर ग्रामीणों को साथ लेकर काम करने की जरूरत है।
धर्मेन्द्र खांडल, फील्ड बायोलॉजिस्ट, टाइगर वॉच
रणथम्भौर में जो स्थिति उत्पन्न हो रही है। उसको लेकर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। इसके लिए उपखण्ड स्तर के गांवों एवं जंगल की स्थिति को देखते हुए एक सुधारात्मक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसे जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
रघुनाथ, उपखण्ड अधिकारी
निर्णयों में अदूरदर्शिता
टाइगर मामलों को लेकर जयपुर वन कार्यालय की निर्णय में बहुत देरी की जा रही है। इसके चलते स्थिति विकट हो रही है। रेंज अधिकारियों के तबादले में भी सही निर्णय नहीं किए जा रहे। एक ही रेंज में एक साल में आधा दर्जन रेंज अधिकारी बदल दिए। रेंज अधिकारियों को एरिया देखने को मौका ही नहीं मिल रहा। रेंज कड़ी को मजबूत कर ग्रामीणों को साथ लेकर काम करने की जरूरत है।
धर्मेन्द्र खांडल, फील्ड बायोलॉजिस्ट, टाइगर वॉच
विस्थापन पैकेज बढ़ाया जाए
रणथम्भौर में जिस तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं, उसके निराकरण के लिए सबसे पहले गांवों के विस्थापन की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। विस्थापन राशि दस साल पुरानी है। राशि बढ़ेगी तो ग्रामीण विस्थापन को सहमत होंगे। इसी प्रकार कॉरिडोर पर काम होना चाहिए। बाघ हमले में मृतक के परिजनों को राशि चार लाख से बढ़ाकर कम से कम 15 लाख रुपए करना चाहिए। ग्रामीणों को चाहिए कि वे वन विभाग का सहयोग करें।
रफीक मोहम्मद, अध्यक्ष, नेचर गाइड एसो., सवाईमाधोपुर
रणथम्भौर में जिस तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं, उसके निराकरण के लिए सबसे पहले गांवों के विस्थापन की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। विस्थापन राशि दस साल पुरानी है। राशि बढ़ेगी तो ग्रामीण विस्थापन को सहमत होंगे। इसी प्रकार कॉरिडोर पर काम होना चाहिए। बाघ हमले में मृतक के परिजनों को राशि चार लाख से बढ़ाकर कम से कम 15 लाख रुपए करना चाहिए। ग्रामीणों को चाहिए कि वे वन विभाग का सहयोग करें।
रफीक मोहम्मद, अध्यक्ष, नेचर गाइड एसो., सवाईमाधोपुर
स्थिति से निपटने के लिए शिफ्टिंग ही समस्या का तत्काल उपाय
रणथम्भौर में पिछले दस साल से ये मुद्दा है, लेकिन जब हमले होते हैं, तब ही ये मुद्दे उठते हैं, फिर गौण हो जाते हैं। जब तक बाघ को जगह नहीं मिलेगी, वे बाहर आते रहेंगे। मानव-बाघ संघर्ष की स्थिति से तत्काल निपटने के लिए सिर्फ शिफ्टिंग ही एकमात्र उपाय है। जंगल में मेल-फीमेल रेशो का संतुलन भी बिगड़ रहा है। इसे संतुलित करना भी जरूरी है। मेल टाइगर की संख्या ज्यादा है।
दौलत सिंह शक्तावत, पूर्व वनाधिकारी, रणथम्भौर।
रणथम्भौर में पिछले दस साल से ये मुद्दा है, लेकिन जब हमले होते हैं, तब ही ये मुद्दे उठते हैं, फिर गौण हो जाते हैं। जब तक बाघ को जगह नहीं मिलेगी, वे बाहर आते रहेंगे। मानव-बाघ संघर्ष की स्थिति से तत्काल निपटने के लिए सिर्फ शिफ्टिंग ही एकमात्र उपाय है। जंगल में मेल-फीमेल रेशो का संतुलन भी बिगड़ रहा है। इसे संतुलित करना भी जरूरी है। मेल टाइगर की संख्या ज्यादा है।
दौलत सिंह शक्तावत, पूर्व वनाधिकारी, रणथम्भौर।