गत दिनों शिक्षा अधिकारियों की ओर से किए गए निरीक्षण में सामने आया कि अधिकांश स्कूलों में पोषाहार व दूध की गुणवत्ता तय मानकों से काफी लचर है। खासतौर से अधिक नामांकन वाले स्कूलों में तो पोषाहार वितरण में व्यापक लापरवाही बरती जा रही है। विभागीय जानकारी के अनुसार कई स्कूलों में पांच सौ व हजार से अधिक नामांकन है। ऐसे में कक्षा आठ तक के विद्यार्थियों की एवज में कन्वर्जन राशि ही हर रोज तीन से चार हजार रुपए मिलती है। लेकिन उसकी तुलना में न तो मसाले होते है और ना ही पर्याप्त सब्जियां।
मिड-डे मिल के तहत सरकारी स्कूलों में रोजाना अलग-अलग मीनू आधारित जैसे दाल-रोटी, खिचड़ी, दाल-बाटी, चावल आदि दिया जाता है। वहीं अन्नपूर्णा दूध योजना के तहत स्कूल आने वाले कक्षा आठ तक के हर छात्र-छात्रा को निर्धारित मात्रा में दूध दिया जाता है। इसके लिए सरकार की ओर से तय मानकों के आधार पर खाद्यान्न के साथ ही अलग से राशि भी दी जाती है, ताकि स्कूल आने वाले विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त पर्याप्त पोषण मिल सके। कई स्कूलों में ऐसा नहीं हो रहा है।
संस्था प्रधानों को सूचना बोर्ड पर प्रतिदिन उपस्थित होने वाले विद्यार्थियों की कक्षावार संख्या के साथ ही नामांकन के हिसाब से उस दिन स्कूल को मिलने वाली कुकिंग कन्वर्जन राशि, कुल नामांकन, कक्षा एक से पांच तथा छह से आठ में उपस्थिति, दाल एवं गेहूं का प्रति विद्यार्थी का मानक, उपस्थिति के हिसाब से आज की मात्रा किलो में, दूध का मानक एवं उपस्थिति के हिसाब से आज के लिए आवंटित कुल दूध एवं उसके लिए प्राप्त राशि आदि लिखना होगा।
जिले के प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्कूलों में पोषाहार, अन्नपूर्णा दूध वितरण, नामांकन आदि की जांच के लिए 26 व 27 फरवरी को विशेष जांच अभियान चलेगा।
मंजूलता जैन, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक, सवाईमाधोपुर