सत्यापन के पेंच में भटक रहा ‘लावारिस’
सवाई माधोपुरPublished: Jan 05, 2022 12:01:28 pm
गांवों व कस्बों में दर की ठोकरे खाने को मजबूर पुलिस-प्रशासन भी नहीं ले रहा सुध


सत्यापन के पेंच में भटक रहा ‘लावारिस’
सवाईमाधोपुर.
जिले के कस्बों व गांवों में भटक रहे ‘लावारिस’(विमंदित)सत्यापन के पेंच में अटक कर रह गया। शहर व गांवों के लोगों की मानवीय संवदेना इतनी शून्य हो चुकी है, कि वे सडक़ किनारे व सार्वजनिक स्थानों पर पड़े लावारिसोंं की सूचना न तो पुलिस को करते है, ना ही लावारिसों के लिए कार्य कर रही संस्थाओं को । ऐसे में लावारिस कई महीनों व वर्षों से एक ही जगह देखे जा सकते है। उधर , लावारिसों को संबल देने वाली संस्थाएं पुलिस सत्यापन के बाद उन्हें ले जाने की तथा संस्था तक पहुचांने के लिए साधन व्यवस्था नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेती है। सभी लोग यह सोच कर रह जाते है कि आखिर लावारिसों का सत्यापन कराए तो कौन? ऐसे में लावारिसों की हालत बद से बदतर हो रही है। ऐसे में वे समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पा रहे है।
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यह फंस रहा है पेंच
समिति के संस्थापक सदस्य ने बताया कि कहीं सडक़ किनारे या सर्वजनिक स्थानों पर कोई लावारिस पड़ा है तो उसकी सूचना किसी सामाजिक संगठन द्वारा अपना घर संस्था व अन्य इस कार्य से जुड़े आश्रमों को दी जाए। फिर सूचना देने वाला पुलिस थाने पहुंचकर उसका सत्यापन कराए। या पुलिस स्वयं जिले में घूम रहे ऐसे लोगों का सत्यापन कर उन्हें बताए। उसके बाद लावारिस के नियत स्थान से भरतपुर तक आने-जाने के लिए वाहन की व्यवस्था कर दी जाए तो लावारिस को तुंरत ले जाते है। नहीं तो वाहन के अभाव में उसे ले जाने में असमर्थ रहते है।
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चार साल से आवश्यक हो गया सत्यापन
सेवा समिति के संस्थापक सदस्य ने बताया कि गत 3-4 वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि किसी भी लावारिस को बिना पुलिस सत्यापन के इलाज के लिए अन्यत्र नहीं ले जाया जाए। पुलिस द्वारा सत्यापन किया जाए कि वह लावारिस है तभी उसे वहां से ले जाया जाए। उसके बाद से किसी पंजीकृत संस्था, पुलिस द्वारा सत्यापन के बाद ही उसे इलाज के लिए ले जाया जाता है।
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