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डेढ़ दशक से मोरासागर के छलकने का इंतजार

locationसवाई माधोपुरPublished: Aug 19, 2019 09:38:03 pm

बामनवास . उपखण्ड क्षेत्र के सबसे बड़े बांध की श्रेणी में आने वाले मोरासागर बांध को करीब डेढ़ दशक से छलकने का इंतजार है। अंतिम बार वर्ष 2005 में इस बांध पर चादर चली थी। उसके बाद से अब तक बांध पूरा भर ही नहीं पाया है। इससे किसानों को भी प्रतिवर्ष निराशा हाथ लग रही है।

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डेढ़ दशक से मोरासागर के छलकने का इंतजार

बामनवास . उपखण्ड क्षेत्र के सबसे बड़े बांध की श्रेणी में आने वाले मोरासागर बांध को करीब डेढ़ दशक से छलकने का इंतजार है। अंतिम बार वर्ष 2005 में इस बांध पर चादर चली थी। उसके बाद से अब तक बांध पूरा भर ही नहीं पाया है। इससे किसानों को भी प्रतिवर्ष निराशा हाथ लग रही है।

कम पानी होने की स्थिति में प्रशासन द्वारा कभी विवाद से बचने के लिए कभी तो पेयजल के लिए सुरक्षित रखने के नाम पर किसानों को बांध से सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जाता है। ऐसे में किसानों को भी हर वर्ष बांध के भरने की उम्मीद रहती है, लेकिन पिछले डेढ़ दशक से किसानों की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है।
इस बार भी जहां प्रदेश के अधिकांश बांध लबालब होकर उनके गेट खोलकर पानी की निकासी करनी पड़ रही है। दूसरी तरफ मोरासागर का गेज अभी 11 फीट के आंकड़े को भी नहीं छू पाया है। बांध की कुल भराव क्षमता 18.6 फीट है तथा ऊपर का भराव ही अहम माना जाता है। किसानों की मानें तो ऊपर के एक फीट से पानी से सिंचाई के समय मोरी एक महीने चल जाती है।
किसानों ने बताया कि पहले बांध में गढमोरा साइड के पहाड़ों का भी पानी आता था, लेकिन अब कई जगह एनीकट निर्माण हो जाने तथा पानी का रास्ता डायवर्जन हो जाने से इसमें पानी की आवक अवरुद्ध हुई है। अब केवल आंतरी क्षेत्र का पानी ही बांध में आता है। नतीजन बांध में हर वर्ष पानी का टोटा रहता है।

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