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सवाई माधोपुर

रेलवे में आज भी जिंदा है पश्चिमी प्रताप

भाप से संचालित होता था

सवाई माधोपुरJan 22, 2020 / 12:31 pm

Shubham Mittal

रेलवे में आज भी जिंदा है पश्चिमी प्रताप

रेलवे में आज भी जिंदा है पश्चिमी प्रताप

सवाईमाधोपुर.सवाईमाधोपुर को यूं तो रणथम्भौर दुर्ग व रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के लिए विश्व भर में जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी सवाईमाधोपुर में ऐसी कई पुरानी धरोहर है जिन्होंने सवाईमाधोपुर को पूर्व में पहचान दिलाई हैं। इनमें सेे ही एक है कोटा डीवीजन का भाप से संचालित होने वाला प्राचीन इंजन पश्चिम प्रताप। 1960 से 1975 के बीच कोटा डीवीजन में संचालित होने वाले इस इंजन के लिए 1975 में स्थानीय लोकोमेटिव को श्रेष्ण रखरखाव के लिए दिल्ली में हुई प्रतियोगिता में प्रथम पुरुस्कार मिला था। यह इंजन आज भी रेलवे के संग्रहालय में सुरक्षित है।
इसलिए पड़ा था नाम
रेलवे की ओर से 1960 में भाप से चलने वाले लोकोमेटिव इंजन का उपयोग शुरू किया गया था। यह इंजन पूरे रेलवे में श्रेष्ठ परफोरमेंस दे रहा था। जबकि इसके रखरखाव का खर्च भी अन्य इंजनों की तुलना में कम था। इसी कारण से रेलवे ने इस इंजन को 1975 में ‘पश्चिमी प्रतापÓ की उपाधि दी गई थी।
डब्ल्यूपी 7604 था नम्बर
रेलवे की ओर से पश्चिमी प्रताप इंजन को डब्ल्यूपी 7604 नंबर दिया गया था। साहित्यकार प्रभाशंकर उपाध्याय के अनुसार यह इंजन ताज एक्सप्रेस, फ्रं टियर मेल, ग्रांड टंक एक्सप्रेस, हावडा -मद्रास मेल आदि टे्रनों के संचालन में इस इंजन का उपयोग किया जाता था।
मिल चुका है पुरुस्कार
यह इंजन पूर्व में कोटा से सवाईमाधोपुर व गंगापुर सिटी के बीच संचालित किया जाता था। इस इंजन के बेहतर रखरखाव के लिए 1975 में सवाईमाधोपुर के मेंटिनेंस रेल वर्कर्स द्वारा बेहतर रखराव के चलते सम्मानित किया गया था।

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