1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में पिछले साल मार्च में दोषी ठहराए गए अंसल बंधु (गोपाल व सुशील अंसल) अब जेल नहीं जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दोनों दोषियों की जेल की सजा माफ कर दी। दोनों पर 30-30 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया, जो इन्हें तीन माह में दिल्ली सरकार को जमा करना होगा। जेल से दोनों की रिहाई जुर्माने की राशि अदा करने के बाद ही हो सकेगी।
जुर्माने की राशि का क्या करना है, ये दिल्ली सरकार तय करेगी। इस अग्निकांड में अपनों को खोने वाले याचिकाकर्ताओं ने फैसले पर निराशा जताई।
न्यायाधीश अनिल आर दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, बिल्डर्स एवं डेवलपर्स अंसल बंधुओं ने जेल में जितना समय बिताया, वो इस अपराध के लिए काफी है। दोनों जेल में चार से पांच माह बिता चुके हैं।
दोनों को हाईकोर्ट ने एक-एक साल जेल की सजा सुनाई थी, पर याचिकाकर्ता सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए, जहां मार्च 2014 में जस्टिस टीएस ठाकुर और ज्ञानसुधा मिश्रा की पीठ ने अंसल बंधुओं को दोषी ठहराया था।
पर दोनों न्यायाधीशों में सजा को लेकर मतभेद थे, इसलिए मामला तीन सदस्यीय पीठ के पास भेजा गया था।
इस पैसे का क्या करूंगी
मैंने अग्निकांड में अपने बच्चें खोए थे, क्या जुर्माने की राशि मेरे बच्चों को वापस ला देगी। 60 करोड़ रुपए का क्या करेंगे। हम न्याय की आस में जिंदा थे, पर फैसले से अब वो भी टूट गई। अब कुछ नहीं बचा।
नीलम कृष्णमूर्ति (याचिकाकर्ता)
यह था मामला
13 जून 1997 को दक्षिण दिल्ली में उपहार सिनेमा में दोपहर 3-6 के शो में फिल्म 'बॉर्डरÓ स्क्रीनिंग चल रही थी, तभी सिनेमा में आग लग गई और सुरक्षा इंतजाम न होने और सिनेमाघर से बाहर आने के सीमित रास्ते होने की वजह से 59 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 103 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।