गौरतलब है कि हाल ही में पीएसएलवी सी-39/आईआरएनएसएस-1 एच भी विफल होने के बाद अंतरिक्ष में चक्कर काट रहा है। इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक इसका कुल वजन लगभग 2.4 टन है और अब वह अंतरिक्ष में बिखरने लगा है। प्रसाद के मुताबिक उपलब्ध तकनीकी क्षमता के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में मौजूद किसी 10 सेमी आकार के छोटे मलबे पर नजर रखी जा सकती है। इसी तरह भूस्थैतिक विषुवतीय कक्षा (जीईओ) में 1 मीटर या उससे अधिक आकार की वस्तुओं को पकडऩे में सक्षम है।
जीईओ में मौजूद वस्तुओं का पता ऑप्टिकल टेलीस्कोप से और एलईओ में वस्तुओं का पता राडार से लगाया जाता है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग राडार (एमओटीआर) स्थापित किया गया है जो अंतरिक्षीय मलबा का पता लगाने वाले विश्व के सबसे बड़े राडारों में से एक है। यह राडार 1000 किमी दूरी पर किसी 50 सेमी गुणा 50 सेमी के मलबे का पता लगा सकता है वहीं 800 किमी की दूरी पर 30 सेमी गुणा 30 सेमी वाले मलबे को ट्रैक कर सकता है। यह मलबा ऑपरेशनल उपग्रहों के लिए खतरे के समान है।
3-डी प्रिंटेड मॉडल मिला मानव दिल की धड़कन का सूत्र
लंदन/सैन फ्रांसिसको। वैज्ञानिकों के एक दल ने त्रिआयामी प्रिंट किया गया दिल का मॉडल विकसित किया है, जिससे शल्य चिकित्सकों को उन विशेष कोशिकाओं की जानकारी मिली है, जो हमारे दिलों में धड़कन पैदा करती हैं। इसके अलावा यह मॉडल दिल की बीमारियों के इलाज के लिए भी अभूतपूर्व विस्तृत जानकारी मुहैया कराएगा, जिससे अनमोल ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना इलाज किया जा सकेगा।
इसकी मदद से दिल की प्रणाली में आई गड़बड़ी का अति सूक्ष्म स्तर पर निरीक्षण किया जा सकेगा और बेहतर इलाज किया जा सकेगा। यह हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों के इलाज में भी मददगार होगा, जैसे कि अनियमित धड़कन जो रक्त संचार में गड़बड़ी से जुड़ी होती है।
ब्रिटेन के लिवरपूल जॉन मूरेस यूनिवर्सिटी (एलजेएमयू) के प्रोफेसर जोनाथन जारविस का कहना है, 3-डी आंकड़ों से कार्डियक कंडक्शन प्रणाली की हृदय के बाकी हिस्से से जटिल संबंधों को समझने में आसानी होती है।
साइंटिफिक रिपोर्ट पत्रिका में प्रकाशित इस शोध-पत्र में जारविस ने लिखा है कि 3-डी प्रिंटेड मॉडल के आंकड़ों से हृदय रोग विशेषज्ञों, हृदय रोग से पीडि़त मरीजों के बीच बीमारी के बारे में चर्चा में भी मदद मिलती है।
कॉर्डियक कंडक्शन सिस्टम विद्युत तरंगों का निर्माण करती है और छोड़ती है, जो हृदय की मांसपेशियों को सिकुडऩे और फैलने के लिए उत्तेजित करती है और हृदय के विभिन्न भागों का विनियमन करती है, ताकि वे समन्वित ढंग से काम करें।
अगर इस प्रणाली में किसी प्रकार की खराबी आ जाती है और हृदय का एक हिस्सा बाकी हिस्से से तालमेल बिठाकर काम नहीं करता तो हृदय रक्त को कुशलता से पंप नहीं कर पाता और यह प्रक्रिया दिल के लिए हानिकारक होती है और उसकी कार्यप्रणाली को नुकसान होता है।