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2015 में वैज्ञानिकों ने की ये 10 बड़ी खोज

Published: Dec 20, 2015 01:00:00 pm

साल 2015 वैज्ञानिक आविष्कारों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इस साल वैज्ञानिकों ने काफी रहस्यों से पर्दा उठाया

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साल 2015 वैज्ञानिक आविष्कारों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इस साल वैज्ञानिकों ने काफी रहस्यों से पर्दा उठाया और कई महत्वपूर्ण नई खोनों को विश्व पटल पर रखा। आईए जानने हैं साल 2015 में क्या-क्या महत्वपूर्ण खोजें हुई।

ऑक्सीजन की धीमी वृद्धि के बाद जन्मी जिंदगी
पृथ्वी पर 60 करोड़ साल पहले जीव की उत्पत्ति के लिए जरूरी ऑक्सीजन स्तर को बनने में करीब 10 करोड़ साल लगे थे। एक नए शोध में यह जानकारी दी गई है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के मुख्य शोधार्थी फिलिप पोग का कहना है, इस अध्ययन का उद्देश्य जलवायु के विकास और जीवन के विकास के बीच संबंध पता लगाना था। शोधार्थियों ने अमरीका, चीन और कनाडा में नए ट्रेसर के इस्तेमाल से करोड़ों साल पहले के ऑक्सीजन स्तर को समझने की कोशिश की है। शोधार्थियों ने चट्टानों में सेलिनियम आइसोटोप के जरिए पता लगाया है कि पृथ्वी पर उस समय ऑक्सीजन का स्तर 1 प्रतिशत से भी कम था जिसे 10 प्रतिशत या मौजूद स्तर तक बनने में लगभग 10 करोड़ साल का समय लगा। यह यकीनन पृथ्वी के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि यह जीव की उत्पत्ति की एक शुरुआत थी जो अब तक बरकरार है।

आकाशगंगाओं के संबंध में वैज्ञाानिकों का नया खुलासा
खगोलविज्ञानियों ने आकाशगंगाओं के संबंध में एक नया खुलासा करते हुए बताया है कि तारों को जन्म देने वाली कुछ आकाशगंगाएं आकार मे सर्पिल होने की जगह गुच्छेदार इसलिए होती हैं क्योंकि उनकी घूमने की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी होती है। आस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा की गई इस नई खोज ने आकाशगंगाओं के संबंध में पुरानी मान्यता को चुनौती दे दी है जिसके तहत माना जाता था कि कुछ आकाशगंगाओं मे गैसों का स्तर काफी अधिक रहने के कारण वे गुच्छेदार होती हैं। इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च की शाखा वेस्टर्न आस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकताओं ने डा.डेनियल ओबरेश्को के नेतृत्व में यह खुलासा किया। डा ओबरेश्कों ने कहा कि लगभग 10 अरब साल पहले पूरा ब्रह्माण्ड भारी आकाशगंगाओं से भरा था लेकिन जैसे जैसे ये विकसित हुई नियमित आकार लेती गई।

मंगल ग्रह पर पानी मिला
मंगल ग्रह पर भविष्य में बस्तियां बसाने की कल्पना अब केवल कथा कहानियों तक सिमट कर नहीं रहेगी क्योंकि मंगल ग्रह की सतह पर पानी तरल अवस्था में देखा गया है जो जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यह जानकारी दी। नासा के खगोलीय विज्ञान विभाग के निदेशक जिम ग्रीन का कहना है कि मंगल एक सूखा और बंजर ग्रह नहीं है जैसा कि पहले सोचा जाता था। उन्होंने कहा कि कुछ निश्चित परिस्थितियों में पानी तरल अवस्था में मंगल पर पाया गया है।

NASA ने जेम्स वेब दूरबीन पर पहला फ्लाइट मिरर लगाया
साल 2015 में नासा ने जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन पर पहली बार 18 फ्लाइट मिरर लगाया है। वर्ष 2018 में हबल अंतरिक्ष दूरबीन के स्थान पर इसे कार्य में लाने के लिए इसकी संरचना में किया गया यह पहला महत्वपूर्ण बदलाव है। अंतरिक्षयात्री और नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय के सहायक प्रशासक जॉन गर्न्‍सफेल्ड ने कहा ‘जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन अगले दशक का प्रमुख खगोलीय वेधशाला होगी।

मंगल पर चुहे और बिल्ली की आकृति देखी गई
मंगल ग्रह पर जीवन की खोज जारी है। इसी बीच वहां से गड्ढे में उछलते चूहे और बंदर जैसी आकृति की तस्वीरें सामने आई हैं। यह तस्वीरें नासा के क्यूरियोसिटी उपग्रह ने भेजी हैं। नासा का यह उपग्रह 2012 से अंतरिक्ष में मौजूद है। खगोलशास्त्री जोए व्हाइट का कहना है कि ये आकृतियां दो से तीन फीट तक का हो सकता है, जिसके कान, नाक और आंखे साफ तौर पर दिख रहे हैं। 

27 सितंबर 2015 में पृथ्वी के सबसे नजदीक दिखा था सुपरमुन
27 सितंबर 2015 को आकाश में एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटी थी। 27 सितंबर की रात को आसमान में चंद्र ग्रहण और सुपर मून दिखने की खगोलीय घटना एक साथ घटी। यह चंद्र ग्रहण एक घंटे 12 मिनट की अवधि तक रहा। यह दुर्लभ चंद्र ग्रहण उत्तरी-पश्चिमी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के कुछ भागों में ही दिखा था।

मंगल पर दिखी औरत की आकृति?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी ने मंगल ग्रह पर ली गई तस्वीरों को लेकर जिज्ञासा पैदा कर दी है। क्यूरियोसिटी ने मंगल की एक फोटो भेजी थी जिसमें फोटो काफी हद तक चौकाती है। ताजा भेजी गई फोटो में एक महिला की छवि को साफ तौर पर देखा जा सकता है। महिला काफी दूर पहाड़ों की बीच दिख रही है।

भारत ने संचार उपग्रह GS-15 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया
साल 2015 में भारत का संचार उपग्रह जीसैट-15फ्रेंच गुयाना के कोरू अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से एरियाने-5 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। जीसैट-15 को इसके सहयात्री अरबसैट-6बी (बीएडीआर-7) को अंतरिक्ष में भेजे जाने के बाद जीओसिंक्रोनस ट्रांसफर कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। एरियानस्पेस ने कहा, एरियानस्पेस ने दो उपग्रहों संचालक अरबसैट के लिए अरबसैट -6बी (बीएडीआर-7) और इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के लिए जीसैट -15 का का सफल प्रक्षेपण किया।

डायनोसोर 90 डिग्री तक खोल सकते थे मुंह का जबड़ा
टारानोसोरस रेक्स जैसे विशालकाय मांसाहारी डायनोसोर जब खाने के लिए मुंह खोलते थे तो उसके दोनों जबड़े 90 अंश तक खुल जाते थे। ब्रिटेन की ‘यूनीवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल’ के अध्ययन में यह बात सामने आई कि डायनासोर के खाने का अंदाज और आहार प्राथमिकताएं इस बात पर काफी निर्भर करती थीं कि वे अपने जबड़े कितना खोल सकते थे। थेरोपोड दो टांग वाले डायनोसोर्स का समूह है।

वैज्ञानिकों ने खोजा कब हुई थी विश्व की पहली हत्या
वैज्ञानिक स्पेन में 4,30,000 साल पुरानी एक खोपड़ी का पता लगाने के बाद संभवत: विश्व की सबसे पुरानी हत्या के रहस्य को सुलझा सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि खोपड़ी पर मिले घातक घाव के निशान से पुरातात्विक रिकार्ड में दर्ज पहले की अंत्येष्टि प्रथाओं के बारे में भी सबूत मिलता है। एक भूमिगत गुफा में स्थित इस स्थल में कम से कम 28 लोगों के अवशेष मिले हैं ओैर ये सभी 4,30,000 साल पहले के हैं । इस स्थल तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता एक तेरह मीटर गहरा खड़ा गुहर है। यह अब एक रहस्य है कि इस जगह तक मानव शवों को कैसे ले जाया गया होगा।

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