कम्प्यूटर मॉडलिंग का किया इस्तेमाल
टीम ने 5जी नेटवर्क में ‘लीकेज’ ढूंढने और उसके प्रभाव की जांच करने के लिए कम्प्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल किया। उन्होंने 2008 में अमरीका के दक्षिण और मध्य पश्चिमी क्षेत्र में आए ‘सुपर ट्यूजडे टॉरनेडो’ के प्रकोप का पूर्वानुमान लगाने के लिए 5जी नेटवर्क तकनीक का उपयोग किया। टीम ने एक फ्रीक्वेंसी बैंड या चैनल में एक ट्रांसमीटर से अनपेक्षित विकिरण पैदा किया ताकि वे नेटवर्क में हुए लीकेज के प्रभाव का अध्ययन कर सकें। वैज्ञानिकों ने पाया कि फ्रीक्वेंसी बैंड से लीक हुए 5जी सिग्नल संभवत: उपग्रहों के मौसम सेंसर पर प्रभाव डालते हैं जो वायुमंडल में जल वाष्प की मात्रा को मापते हैं और मौसम का पूर्वानुमान लगाने में मदद करते हैं। मौसम विज्ञानी मौसम का पूर्वानुमान करने के लिए आवश्यक डेटा के लिए उपग्रहों पर भरोसा करते हैं।
16 डिग्री सेल्सियस तक गलत पूर्वानुमान
कम्प्यूटर मॉडलिंग से शोधकर्ताओं को पता चला कि 5जी नेटवर्क में सिग्नल रिसाव के चलते की शक्ति -15 से -20 डेसीबल वॉट्स (एक डेसिबल वॉट बिजली की एक इकाई है जो रेडियो तरंगों की ताकत का वर्णन करती है) बवंडर के प्रकोप के दौरान (वर्षा के पूर्वानुमान की सटीकता को 0.9 मिलीमीटर) तक को प्रभावित करती है। इतना ही नहीं यह पृथ्वी पर 16.48 डिग्री सेल्सियस तक तापमान (2.34 डिग्री फार्नहाइट तक) प्रभावित कर सकता है।
5जी को और बेहतर बनाने की जरुरत
शोध के प्रमुख लेखक मंडयम का कहना है कि हमारे शोध के अनुसार, यदि हम चाहते हैं कि रिसाव 5जी समुदाय द्वारा पसंद किए गए स्तरों पर हो, तो हमें और अधिक विस्तृत मॉडल के साथ-साथ एंटीना प्रौद्योगिकी, स्पेक्ट्रम संसाधनों के गतिशील पुन: संयोजन और बेहतर मौसम पूर्वानुमान एल्गोरिदम पर काम करने की आवश्यकता है।