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इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान

locationजयपुरPublished: Oct 18, 2020 12:16:21 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

रट्जर्स विश्वविद्यालय की टीम का अध्ययन मौसम पूर्वानुमान की त्रुटियों पर 5जी के प्रभाव को निर्धारित करने वाला अपनी तरह का पहला शोध है।

इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान

इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान

जिस 5जी वायरलैस नेटवर्क (5G Wireless Cellular Network) का सारा दुनिया को इंतजार है उसे लेकर एक भारतीय शोधकर्ता ने चौंकाने वाला दावा किया है। भारतीय मूल के अमरीकी शोधकर्ता नारायण बी. मंडयम का दावा है कि सबसे तेज गति का सैल्युलर नेटवर्क प्रदान करने वाली यह आगामी तकनीक तेज भले हो लेकिन इससे मौसम संबंधी गलत पूर्वानुमान (Inaccurate Weather Forecasts) लगाए जाने की आशंका अधिक है। रट्जर्स विश्वविद्यालय (Rutgers University) के शोधकर्ता और शोध के वरिष्ठ लेखक नारायण बी. मंडयम का कहना है कि हमारा अध्ययन मौसम पूर्वानुमान की त्रुटियों पर ५जी के प्रभाव को निर्धारित करने वाला अपनी तरह का पहला शोध है।
इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान
अध्ययन के अनुसार, सबसे पहले 2020 में IEEE 5G World Foram में प्रस्तुत की गई यह पांचवी पीढ़ी (Fifth Generation) की सैल्युलर वायरलैस तकनीक मोबाइल कम्युनिकेशन के लिए उच्च आवृत्तियों (High Frequency) का उपयोग करने का एक नया और स्मार्ट तरीका है। यह तकनीक इंटरनेट संचार और दूरसंचार में क्रांति लाएगी। शोधकर्ताओं के अनुसार, इसमें कनेक्शन का समय तेज होता है। ऐसे उपकरणों की संख्या बढ़ाई जा सकती है जो एक ही नेटवर्क से जुड़ सकते हैं और अगले दो से तीन वर्षों में यह तकनीक व्यापक रूप से उपलब्ध होगी।
इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान

कम्प्यूटर मॉडलिंग का किया इस्तेमाल
टीम ने 5जी नेटवर्क में ‘लीकेज’ ढूंढने और उसके प्रभाव की जांच करने के लिए कम्प्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल किया। उन्होंने 2008 में अमरीका के दक्षिण और मध्य पश्चिमी क्षेत्र में आए ‘सुपर ट्यूजडे टॉरनेडो’ के प्रकोप का पूर्वानुमान लगाने के लिए 5जी नेटवर्क तकनीक का उपयोग किया। टीम ने एक फ्रीक्वेंसी बैंड या चैनल में एक ट्रांसमीटर से अनपेक्षित विकिरण पैदा किया ताकि वे नेटवर्क में हुए लीकेज के प्रभाव का अध्ययन कर सकें। वैज्ञानिकों ने पाया कि फ्रीक्वेंसी बैंड से लीक हुए 5जी सिग्नल संभवत: उपग्रहों के मौसम सेंसर पर प्रभाव डालते हैं जो वायुमंडल में जल वाष्प की मात्रा को मापते हैं और मौसम का पूर्वानुमान लगाने में मदद करते हैं। मौसम विज्ञानी मौसम का पूर्वानुमान करने के लिए आवश्यक डेटा के लिए उपग्रहों पर भरोसा करते हैं।

इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान

16 डिग्री सेल्सियस तक गलत पूर्वानुमान
कम्प्यूटर मॉडलिंग से शोधकर्ताओं को पता चला कि 5जी नेटवर्क में सिग्नल रिसाव के चलते की शक्ति -15 से -20 डेसीबल वॉट्स (एक डेसिबल वॉट बिजली की एक इकाई है जो रेडियो तरंगों की ताकत का वर्णन करती है) बवंडर के प्रकोप के दौरान (वर्षा के पूर्वानुमान की सटीकता को 0.9 मिलीमीटर) तक को प्रभावित करती है। इतना ही नहीं यह पृथ्वी पर 16.48 डिग्री सेल्सियस तक तापमान (2.34 डिग्री फार्नहाइट तक) प्रभावित कर सकता है।

इस भारतीय शोधकर्ता का दावा, 5जी नेटवर्क से गलत होंगे मौसम के पूर्वानुमान

5जी को और बेहतर बनाने की जरुरत
शोध के प्रमुख लेखक मंडयम का कहना है कि हमारे शोध के अनुसार, यदि हम चाहते हैं कि रिसाव 5जी समुदाय द्वारा पसंद किए गए स्तरों पर हो, तो हमें और अधिक विस्तृत मॉडल के साथ-साथ एंटीना प्रौद्योगिकी, स्पेक्ट्रम संसाधनों के गतिशील पुन: संयोजन और बेहतर मौसम पूर्वानुमान एल्गोरिदम पर काम करने की आवश्यकता है।

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