विकसित हुआ इको-सिस्टम
डेविड का दावा है कि इस बोतल गार्डन के अंदर ही एक पारिस्थितिकी तंत्र (इको-सिस्टम) विकसित हो गया है जो सूरज की फिल्टर किरणों की मदद से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया करने में सक्षम है और खाद के रूप में पौधे के पोषक तत्वों को रिसायकल कर उपयोग करता है। डेविड का यह भी दावा है कि उन्होंने 1972 के बाद इसमें पानी की एक बूंद नहीं डाली है, बावजूद इसके यह अब भी पूरी तरह हरा-भरा है।
सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में करता है परिवर्तित
वनस्पति विशेषज्ञों का कहना है कि बोतल के अंदर, पौधा सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में परिवर्तित करता है, इस प्रकार वह पोषण पाता है और जीवित रहता है। यह प्रकाश संश्लेषण के जरिए ऑक्सीजन भी बनाता है और अपने आस-पास की हवा में नमी भी बनाए रखता है। इसके सड़े-गले पत्ते पोषक तत्वों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं, जिसे इसकी जड़ों से पौधे तक पहुंचते हैं। डेविड ने बताया कि यह पौधा बोतल के अंदर सूरजमुखी की तरह सूर्य की ओर ही देखते हैं इसलिए रोज धूप के साथ इसकी दिशा भी बदल जाती है।