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डॉ. स्टैनली को ”गॉडफादर ऑफ वैक्सीन’ कहते हैं, अब ये कोरोना की वैक्सीन बनाने में कर रहे मदद

locationजयपुरPublished: Apr 24, 2020 10:04:03 am

Submitted by:

Mohmad Imran

-87 साल के डॉ. स्टैनली प्लोटकिन ने ५६ साल पहले ढूंढी थी जर्मन खसरे की पहली वैक्सीन ‘रुबैला’

डॉ. स्टैनली को ''गॉडफादर ऑफ वैक्सीन' कहते हैं, अब ये कोरोना की वैक्सीन बनाने में कर रहे मदद

डॉ. स्टैनली को ”गॉडफादर ऑफ वैक्सीन’ कहते हैं, अब ये कोरोना की वैक्सीन बनाने में कर रहे मदद

ये हैं अमरीका के 87 वर्षीय डॉ. स्टेनली प्लॉटकिन जिन्होंने साल 1964 में विस्टार इंस्टीट्यूट में रूबैला वैक्सीन का आविष्कार किया था। इसी वैक्सीन को अमरीका में ६ साल पहले फैली रुबैला बीमारी (जर्मन खसरा) के उन्मूलन का श्रेय दिया जाता है। उन्हें ‘गॉडफादर ऑफ वैक्सीन’ भी कहा जाता हे। अपने कॅरियर में उन्होंने कई घातक बीमारियों के टीकों की खोज की हैं। इसकेअलावा वे एंथ्रेक्स, पोलियो, रेबीज और रोटावायरस के टीके पर भी काम कर चुके हैं। पेशे से एक बाल रोग विशेषज्ञ और वैक्सीनोलॉजिस्ट डॉ. स्टैनली अब वर्तमान की सबसे घातक महामारी बनकर उभरे नोवेल कोरोना वायरस सीओवीआईडी-19 को रोकने के लिए वैक्सीन विकसित करने में फार्मा कंपनियों की मदद कर रहे हैं।
डॉ. स्टैनली को ''गॉडफादर ऑफ वैक्सीन' कहते हैं, अब ये कोरोना की वैक्सीन बनाने में कर रहे मदद
डॉ. स्टेनली ने 1960 के दशक में फिलाडेल्फिया के विस्टार इंस्टीट्यूट में रूबेला वैक्सीन का आविष्कार किया था। रुबैला को जर्मन खसरा भी कहते हैं। यह बीमारी तब पूरे अमरीका और यूरोप में फैल गई थी। इसके चलते अमरीका-यूरोप में उस समय पैदा हुए करीब 12 हजार शिशुओं में बहरेपन, नेत्रहीनता या दोनों दोष थे। दुनिया भर में बच्चों को लगाए जाने वाले एमएमआर (मीजल्स, मम्प्स और रुबैला) टीके में आर का प्रतिनिधित्व करता है। एक साइंस मैगजीन को दिए साक्षात्कार में उन्होंने रुबैला वैक्सीन, कोरोनावायरस और संभावित कोरोना वैक्सीन के बारे में बताया।
डॉ. स्टैनली को ''गॉडफादर ऑफ वैक्सीन' कहते हैं, अब ये कोरोना की वैक्सीन बनाने में कर रहे मदद
प्रश्न: रुबेला और कोविड-19 में क्या समानता है?
डॉ.स्टैनली: रुबैला से हर आयुवर्ग के लोग संक्रमित हुए थे लेकिन यह विशेषकर गर्भवती महिलाओं और उसके भ्रूण या गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोनावायरस भी महिलाओं के लिए ज्यादा घातक है, लेकिन यह अब तक लाखों लोगों को मार चुका है। रुइैला महामारी के समय फिलाडेल्फिया में १ फीसदी गर्भवती महिलाएं और शिशु रूबैला से प्रभावित थे।
प्रश्न: क्या कोविड-19 वायरस के संक्रमण में कमी आ रही है?
डॉ.स्टैनली: ‘फ्लैटनिंग द कर्व’ का मतलब है कि वायरस का संक्रमण कमजोर पड़ रहा है। अगर हम वायरस को एक-दूसरे तक पहुंचने से पहले ही उसकी चेन तोड़ दें तो संक्रमित लोगों की संख्या को कम कर सकते हैं। इसमें सेल्फ आइसोलेशन और क्वारनटाइन से 70 से 80 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।
प्रश्न: आप कोरोना वायरस की वैक्सीन कैसे विकसित करेंगे?
डॉ. स्टैनली को ''गॉडफादर ऑफ वैक्सीन' कहते हैं, अब ये कोरोना की वैक्सीन बनाने में कर रहे मदद
प्रश्न: आप कोरोना वायरस की वैक्सीन कैसे विकसित करेंगे?
डॉ.स्टैनली: मैंने ओरल पोलियो वैक्सीन पर बहुत काम किया था और इसलिए जानता था कि किसी वायरस को कैसे कमजोर किया जाए। जब मैंने रूबेला वैक्सीन विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट लॉन्च किया तो अनिवार्य रूप से यह वायरस को कमजोर करने के लिए किया गया था। ताकि वह लोगों को प्राकृतिक वायरस की तरह जन्मजात विकृतियां देने की बजाय लोगों को प्रतिरक्षित करता हो। आज कोरोना वैक्सीन के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं। 60 के दशक में रुबैला का टीका विकसित करने के लिए भी ऐसी ही होड़ मची थी। 40 साल बाद आज हमारे पास टीके बनाने की कई विधियां हैं। मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही कोरोना वायरस के लिए एक कारगर टीका विकसित कर लेंगे। लेकिन लोगों को भी यह समझना होगा कि यह टीका रात भर में विकसित नहीं हो सकता। एक टीके को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए तैयार करने में सालों गुजर जाते हैं।

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