जी हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप के फौरन बाद ही पृथ्वी के भीतर सोना जमा हो जाता है. ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चरों के अनुसार ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि धरती के फटने से जो जगह बनती है वह तत्काल ही अंदर से निकले एक द्रव से भर जाती है। इससे धरती के भीतर बन रहे दबाव में तो काफी कमी आ जाती है लेकिन ऊपरी दबाव के चलते द्रव फैलने लगता है और तेजी से वाष्पीकृत होता है। इस प्रकिया में द्रव में घुले जितने भी सोने के कण होते हैं वे फौरन नीचे बैठ जाते हैं। ज्वालामुखी फटने के बाद उसके मुहाने पर हमेशा ही खोजियों को भारी मात्रा में सोना मिला है।
जहां बार बार ज्वालामुखी फटते हैं और बार बार भूकंप आते हैं वहां धरती के नीचे सोने का भंडार एकत्र होता जाता है। भूकंप आने और ज्वालामुखी फटने पर ये सोना द्रव के रूप में धरती पर आ जाता है। हजारों सालों पहले जब धरती पर पहाड़ों में दरारे आ रही थी तो हिलने डुलने के कारण धरतीाललों साल हजारों टन धातु एकत्र होता गया। भूकंप आने के बाद ये द्रव बाहर आ जाता है और सूख कर इससे सोना आराम से निकाला जा सकता है।
हाल ही में जियो साइंस नेचर पत्रिका में भी इस संबंध में एक लेख छपा था जिसके अनुसार बताया गया था कि भूकंप आने के बाद धरती की दरारों से जो द्रव निकलता है वो धरती में दबाव के चलते द्रव में तब्दील हुई बहुमूल्य धातुएं हैं। इन धातुओं में सोना भी होता है हालांकि धरती के भीतर यह इतनी तरल मात्रा में होता है कि इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। लेकिन दरारों से बाहर बहकर आने के बाद जब से द्रव सूख जाता है तो इसमें सोने के कण आसानी से खोजे जा सकते हैं।