बता दें कि इस दावे की सच्चाई जांचने के लिए एक रिसर्च जारी है। जिसमें जमीन में सोना बनने की प्रक्रिया और भूकंप के बीच की कड़ी को तलाशा जा रहा है।
वायरल मैसेज के सच पर जियोलॉजी का नजरिया -दिल्ली यूनिवर्सिटी delhi university में जियोलॉजी विभाग geology department में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉक्टर आशुतोष कुमार ने इस मैसेज को झूठ बताया है। उनके अनुसार— टेक्टॉनिक ऐक्टिविटी activity की वजह से सोने का डिपॉजिट मिलता है ये बात सच है, लेकिन भूकंप से पानी का सोना बनना गलत है।
एक मीडिया रिपोर्ट media report में भोपाल के बर्कतुल्लाह विश्व विद्यालय में भूविज्ञान के प्रोफ़ेसर डीसी गुप्ता के हवाले से कहा गया है कि पृथ्वी के भीतर हर तरह के धातु मिलते हैं जिनमें सोना भी होता है। ये द्रव्य (पानी की तरह) दिखाई देता है। भूकंप के दौरान जब दबाव पड़ता है तब ये धातु धीरे-धीरे ऊपर आने लगते हैं और जैसे-जैसे ये ऊपर की और आते हैं, तापमान कम होने पर ठोस रूप ले लेते हैं। ये ठोस जरूरी नहीं है कि सोना ही हो! बल्कि ये कॉपर, जिंक, लोहा और अन्य धातु भी हो सकते हैं।
भूकंप से सोना बने यह जरुरी नहीं प्रोफ़ेसर डीसी गुप्ता अनुसार, भूकंप से जमीन के पानी का सोना ही बने ये जरूरी नहीं है। दरअसल, भूकंप से भूमि के अंदर जो हरकतें होती हैं उससे आस-पास की दरारें खुलने लगती हैं और सोना या दूसरे मेटल वाला द्रव्य वहां पहुंच जाता है। भूकंप के दौरान धरती में बस इतना होता है कि जो द्रव्य सोना लेकर ज़मीन के भीतर से अलग हुए हैं, उसको वो फैला देता है। जिस कारण लगता है कि भूकंप आने से जमीन के नीचे मौजूद पानी से सोना बना होगा।
बता दें कि भूकंप के बाद पानी का सोने में बदल जाने के इस मैसेज का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। किए जा रहे दावे में कितनी सच्चाई है इस बात की हम पुष्टि नहीं कर सकते हैं और ना ही मैसेज के वायरल होने की ही पुष्टि करते हैं। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल होने की बात कही गई है।