धरती को छूकर गुजरने वाला ये उल्कापिंड करीब 37 लाख किलोमीटर दूर से निकला है। वैज्ञानिकों को डर था कि अगर ये उल्कापिंड धरती से टकराकर या टूटकर समुद्र में गिरता तो बड़ी सुनामी आ सकती थी। चूंकि यह उल्कापिंड दिल्ली के कुतुबमीनार से चार गुना और अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से तीन गुना बड़ा था। इसकी लंबाई करीब 1017 फीट थी। ऐसे में आशंका थी कि इससे बड़ी तबाही हो सकती है। हालांकि इसके गुजर जाने से बड़ा खतरा टल गया। मालूम हो कि एस्टेरॉयड 24 जून 2020 की दोपहर 12.15 बजे पृथ्वी के करीब से गुजरा।
नासा (NASA) के वैज्ञानिकों के लिए वे सभी एस्टेरॉयड्स धरती के लिए खतरा हैं जिनकी दूरी धरती से 75 लाख किलोमीटर के अंदर होती है। इन तेज रफ्तार गुजरने वाले खगोलीय पिंडों को नीयर अर्थ ऑबजेक्टस (NEO) कहते हैं। जून में उल्कापिंड के गुजरने की यह तीसरी घटना है। पहला एस्टेरॉयड 6 जून को धरती के बगल से गुजरा था। इसका नाम 2002एनएन4 था। वो 40,140 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गुजरा था।