बड़ा खतरा! धरती से गायब हो रहीं मधुमक्खियां, अब कुछ किया तो इंसानों को भुगतना पड़ेगा बुरा अंजाम
- विलुप्त हो रही है मधुमक्खियां
- 1990 के बाद से मधुमक्खियों की एक चौथाई आबादी गायब

नई दिल्ली। शहद सभी को अच्छा लगता है, लेकिन शहद की कारक मधुमक्खियों का अस्तित्व अब खतरे में है। दुनियाभर में मधुमक्खियों (Bees) की घटती संख्या को लेकर चिंता वैज्ञानिक चिंतित है। बेंगलुरु के गांधी कृषि विज्ञान केंद्र की यूनिवर्सिटी ऑफ ऐग्रिकल्चरल साइंसेज में वैज्ञानिक डॉ. वासुकी बेलावडी ने बताया कि मधुमक्खी खत्म होने से कई चीजें खत्म हो जाएगा। इनके विलुप्त होने के साथ सेब, जामुन, ककड़ी, गोभी व चैरी जैसे फल व सब्जियों पर संकट आने वाला है। क्योंकि इन पौधों का अधिकांश परागण मधुमक्खी ही करती आई है।
SPACE RACE : निजी कंपनियों के आने से अंतरिक्ष में उड़ान का नया दौर

डॉ. वासुकी ने बताया, ‘ मधुमक्खी की करीब 20,507 प्रजातियां हैं जिनमें से एक दर्जन प्रजातियां शहद पैदा करने वाली होती हैं। लेकिन मधुमक्खियों की सभी प्रजातियां फसलों और जंगलों के लिए जरुरी हैं। अपने देश में लगभग 723 प्रजातियां रहती हैं। लेकिन अब ये धीरे-धीरे कम हो रही हैं। इनके कम होने से इंसानी गतिविधियों पर भी बुरा असर पड़ेगा।’ वासुकी बताते हैं, ‘अगर इसी तरह मधुमक्खियों की संख्या कम होगी लोगों को फसल कम मिलेंगे। इससे खाने की व्यवस्था में दिक्कत का सामना कारण पड़ सकता है।’
मंगल के वायुमंडल में दिखी भाप की परत, मिले कभी जीवन होने के संकेत

वहीं पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का असर मधुमक्खियों पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि इनकी संख्या पहले की तुलना में तेजी से कम हो रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से मधुमक्खियों के घर बर्बाद हो रहे हैं। अधिक तापमान की वजह से पौधों और फूलों की संख्या और विविधता में भी कमी आई रही है। अगले दस साल तक अगर कुछ किया नहीं गया तो संकट पैदा हो सकता है।’
बता दें मधुमक्खियों के कम होने को लेकर अर्जंटीना के रिसर्चर्स ने एक डेटा भी तैयार किया है। इसके अनुसार साल 2006 से 2015 के बीच 1990 से पहले के मुकाबले 25% प्रजातियां कम रिकॉर्ड की गई हैं।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest Science and Tech News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi