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विज्ञान और टेक्नोलॉजी

कहीं आपके चहीते डिवाइस आपको बीमार तो नहीं बना रहे!

रैलिंग या कीबोर्ड पर पाए जाने वाले रोगाणु पैथोजीन और संक्रमित जीवाणुओं को हम तक पहुंचा तो सकते हैं लेकिन ये हमें तभी बीमार कर सकते हैं जब इन्हें सही वातावरण और सही ट्रांसमिशन system मिले

Dec 11, 2019 / 03:35 pm

Mohmad Imran

कहीं आपके चहीते डिवाइस आपको बीमार तो नहीं बना रहे!

कहीं आपके चहीते डिवाइस आपको बीमार तो नहीं बना रहे!

इंटरनेट पीढ़ी ही नहीं बुजुर्ग भी आज अपने सेलफोन, लैपटॉप और स्मार्ट वॉच जैसे डिजिटल डिवाइस को हर जगह अपने साथ ले जाते हैं। मेट्रो के सफर से लेकर कैंटीन तक और बेडरूम से लेकर ऑफिस की टेबल तक ये उपकरण हर वक्त हमारे साथ होते हैं। युवा पीढ़ी का तो ये हाल है कि वे इसे बाथरूम में भी साथ लेकर जाते हैं। लेकिन इन उपकरणों पर पाए जाने वाले रोगाणुओं से क्या हम बीमार हो रहे हैं? टॉयलेट की सीट से भी ज्यादा रोगाणु हमारेक मोबाइल की स्क्रीन पर होते हैं। तो ऐसे में हमें अपने इन चहीते उपकरणों से कितना डरना चाहिए? कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सूक्ष्म जीव विज्ञानी जोनाथन ईसेन और डेविस का कहना है कि इस संबंध में ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है कि हम अपने मनपंसद गैजेट्स को बार-बार छूने से बीमार पड़ सकते हैं। सबवे में लगी रैलिंग या कीबोर्ड पर पाए जाने वाले रोगाणु पैथोजीन और संक्रमित जीवाणुओं को हम तक पहुंचा तो सकते हैं लेकिन ये हमें तभी बीमार कर सकते हैं जब इन्हें सही वातावरण और सही ट्रांसमिशन विधि मिले। यानि अगर कीबोर्ड उपयोग करने वाले आप अकेले व्यक्ति हैं और आप उन्हें अपने घर या कार्यस्थल जैसी सामान्य व रोजमर्रा के वातावरण में उपयोग करते हैं तो आपके बीमार पडऩे की आशंका बहुत कम है। बशर्ते आप नियमित रूप से अपने उपकरणों की साफ-सफाई करते हैं और इस्तेमाल के बाद अपने हाथ धोते हों।
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ई-कोली-सालमोनेल्ला सामान्य रोगाणु
हालांकि, इन रोगाणुओं के शरीर में पहुंचकर हमें बीमार करने की आशंका उस समय बढ़ जाती है जब हम लगातार इनके या इनसे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहें। खाने-पीने की चीजों के जरिए ये आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। आमतौर पर हमारे सामान्य रोजमर्रा के डिवाइसों जैसे की-बोर्ड इत्यादि पर ई-कोली और सालमोनेल्ला जैसे रोगाणु करोड़ों की संख्या में पाए जाते हैं। इससे बचने का सरल उपाय है कि इसे साफकर अपने हाथ अच्छे से धो लें। इसी तरह अगर कोई आपके फोन का उपयोग करते समय छींक या खांस दे और इसे बिना साफ किए अगर आप इसका उपयोग करेंगे तो भी आपके बीमार होने की आशंका बनी रहती है। क्योंकि आप दूसरे लोगों के माइक्रोब्स के संपर्क में आ रहे हैं।
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लेकिन हाल के शोध नहीं मानते
निजी डिवाइस से होने वाले रोगों पर वैसे तो बहुत ज्यादा शोध नहीं हुए हैं। लेकिन हाल ही हुए शोध इस बात से इंकार करते हैं कि रोज उपयोग किए जाने वाले डिवाइस हमें बीमार बना रहे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि अध्ययन में इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले कि कीबोर्ड, स्मार्टफोन या लैपटॉप बीमारी फैलाने का काम करते हैं। यहां तक कि अस्पतालों जैसे संवेदनशील जगहों पर भी ऐसा देखने में नहीं आया है। 2019 में प्रस्तुत एक शोध पेपर में कहा गया कि अधिकांश उपकरणों में कुछ रोगजनक रोगाणु होते हैं लेकिन शोधकर्ताओं ने रोगियों और उपयोगकर्ताओं पर इसके प्रभाव का कोई प्रमाण नहीं पाया। उन्होंने कहा कि हो सकता है सूक्ष्म स्तर पर कुछ प्रभाव हों भी लेकिन ये स्पष्ट उजागर नहीं थे। ईसेन ने कहा कि इसका सबसे अच्छा इलाज है कि अपने हाथों को नियमित रूप से अच्छे से साफ करें क्योंकि ये हमारे हाथ ही हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगाणुओं को हमारे शरीर के अंदर पहुंचाने का काम करते हैं। इसलिए अपने फोन को यूवी लाइट से सैनिटाइज करने की बजाय अपने हाथों को धोने की आदत डालना ही रोगों से बचा सकता है।
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गैजेट कंपनियां भी देती हैं सलाह
अमरीकन क्लीनिंग इंस्टीट्यूट के ब्रायन सनसोनी सुझाव देते हैं कि अपने फोन का उपयोग करने के बाद इसे एक माइक्रोफइबर कपड़े से साफ कर लें। ऐसे ही मेलिसा मेकर टोरंटो में बुटीक क्लीनिंग फर्म ‘क्लीन माय स्पेस’ की संस्थापक हैं और यूट्यूब चैनल पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे लैपटॉप, नोटबुक और टैबलेट जैसे उपकरणों को साफ करने के संबंध में वीडियो गाइड के जरिए सुझाव देती हैं। गैजेट निर्माता दिग्गज कंपनियां ऐपल और माइक्रोसॉफ्ट भी अपने ग्राहकों को उपकरण की साफ सफाई के बारे में विस्तृत टिप्स देते हैं। इसमें डिवाइस को सफाई से पहले स्विच ऑफ करना, चार्जर से अलग करना, ब्लीच, अमोनिया जैसे हार्ड सफाई उत्पादों का इस्तेमाल न करने संबंधी सेफ्टी टिप्स शामिल हैं।
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