विज्ञान और टेक्नोलॉजी

आज शनि में समा जाएगा कैसिनी

कैसिनी अंतिम क्षणों में शनि के बादलों से होकर गुजरेगा।

Sep 14, 2017 / 11:30 pm

जमील खान

Cassini

बेंगलूरु। शनि ग्रह की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने के लिए भेजे गए नासा के अंतरिक्ष यान कैसिनी ने गुरुवार को अपनी आखिरी परिक्रमा पूरी कर ली। तेरह वर्षों के अपने अभियान के दौरान शनि, उसके उपग्रहों और वलयों के बारे में बेहद महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाने के बाद कैसिनी ने आखिरी चक्कर के दौरान शनि के आखिरी चित्र भेजकर अपना कार्य संपादित कर दिया है लेकिन शनि में समाने के दौरान ही इससे कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने की उम्मीद है। अब यह अंतरिक्ष यान शुक्रवार को सीधे शनि में समा जाएगा।

कैसिनी अंतिम क्षणों में शनि के बादलों से होकर गुजरेगा। इस दौरान यह इतना गर्म हो जाएगा कि एक-दो मिनट के भीतर ही टूटकर स्वाहा हो जाएगा। शनि की ओर गिरते वक्त यान में बचे ईंधन से इसकी दिशा ऐसी मोड़ दी जाएगी कि यान का एंटीना पृथ्वी की ओर उन्मुख रहेगा। भारतीय समयानुसार इससे आखिरी सिग्नल शाम ५.२५ बजे के आसपास पृथ्वी पर पहुंचेगा। हालांकि, इससे डेढ़ घंटा पहले ही कैसिनी शनि में समाकर भस्म चुका होगा। गिरने के दौरान एक-दो मिनट के अंदर ही वैज्ञानिकों को शनि के वातावरण के बारे में बेहद महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलने की उम्मीद है। इन कुछ पलों के अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने विशेष तैयारी की है।

गौरतलब है कि शनि ग्रह के नजदीक से अध्ययन के लिए १५ अक्टूबर १९९७ को कैसिनी अंतरिक्ष यान छोड़ा गया था। जो सात वर्षों की पेचीदा यात्रा कर १ जुलाई २००४ को जा पहुंचा। शनि के इतने निकट आज तक कोई मिशन नहीं पहुंचा था। १४ जनवरी २००५ को कैसिनी से हाइजेन नामक यान शनि के उपग्रह टाइटन की जमीन पर उतारा गया। वैज्ञानिकों के लिए यह एक रोमांचकारी क्षण था। टाइटन पर मीथेन और ईथेन की झीलें हैं, जहां जीवन पनप सकता है। कैसिनी से ही शनि के उपग्रह एन-सेलाडस पर बर्फीली फुहारें होने की जानकारी मिली। अब इसका
ईंधन खत्म हो चुका है और उसके शनि में समाने की प्रतीक्षा है।

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