चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को भारत के भारी-भरकम रॉकेट जियोसिंक्रिनस सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 ( GSLV Mark 3 ) के साथ प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान-2 में तीन खंड बनाए गए हैं। जिनमें ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), लैंडर ‘विक्रम’ (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड) और रोवर ‘प्रज्ञान’ (27 किलोग्राम, दो पेलोड) शामिल हैं।
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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में पृथ्वी के चक्कर लगाने के अलावा कई अलग-अलग गतिविधियां शामिल हैं। इसके तहत 14 अगस्त को अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के लिए भेजा जाएगा, जोकि 20 अगस्त तक वहां पहुंच जाएगा। लैंडर विक्रम सात सितंबर को चंद्रमा पर उतरेगा।गौरतलब है कि चंद्रयान-2 ले जाने वाले जीएसएलवी एमके-3 को पहले 15 जुलाई को उड़ान भरनी थी। मगर एक गंभीर तकनीकी गड़बड़ी के कारण उड़ान को 22 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया था।
इसके बाद मिशन के कार्यक्रम में भी बदलाव किए गए। 15 जुलाई के उड़ान कार्यक्रम के अनुसार चंद्रयान-2 की पृथ्वी चरण की सीमा 17 दिन थी और नए कार्यक्रम के अनुसार यह 23 दिन है। पहले जहां विक्रम को प्रक्षेपित होने के 54 दिन बाद चंद्रमा पर उतारने की योजना बनाई गई थी, वहीं अब इसकी लैंडिंग 48 दिनों में ही हो जाएगी।