चीन के डेटा सेंटर 2.1 करोड़ कारों जितना कार्बन उत्सर्जन करते हैं
एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले चीन के हांगकांग शहर में बने विभिन्न डेटा केंद्रों ने पिछले साल 9.9 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन किया

सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन डेटा सेंटर भी कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार अकेले चीन के हांगकांग शहर में बने विभिन्न डेटा केंद्रों ने पिछले साल 9.9 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन किया। यह सड़क पर चलने वाली करीब 2.1 कारों से उत्पन्न होने वाले धुंए में सम्मिलित कार्बन के बराबर था। यूं तो डेटा केन्द्र ईमेल, फोटो और वीडियो जैसी डिजिटल जानकारी संग्रहीत करते हैं। लेकिन ये डेटा केन्द्र दुनिया भर की कुल वैश्विक बिजली का 3 से 5 फीसदी हिस्से की खपत करते हैं। इतना ही नहीं ये कार्बन उत्सर्जन के मामले में एयरलाइन उद्योग को भी टक्कर देते हैं। कार्बन उत्सर्जन के कारण हर बीतते साल के साथ पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि (Global Warming) हो रही है। कोयला, प्रदूषण, वाहनों का धुंए जैसे कारकों के बीच अब डेटा सेंटर्स भी इस सूची में शामिल हो गए हैं।

चाइनीज़ डेटा सेंटर दुनिया में की सबसे बड़ी डिजिटल दुनिया
ग्रीनपीस और नॉर्थ चाइना इलेक्ट्रिक पावर यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन का डेटा सेंटर उद्योग दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल दुनिया है। इतना ही नहीं बीते साल इसने अकेले पूरे देश की 2 फीसदी बिजली की खपत की है। चीन यूं तो अपनी सौर ऊर्जा परियोजनाओं के बल पर रिन्यूएबल ऊर्जा के क्षेत्र में अमरीका से आगे निकल गया है। लेकिन ग्रीन एनर्जी की इस विशाल क्षमता के बावजूद ज्यादातर चीनी डेटा केंद्र इसका उपयोग नहीं करते हैं।
ग्रीनपीस के जलवायु विशेषज्ञ यू रुईकी का कहना है कि चीन की बिजली का लगभग तीन चौथाई हिस्सा कोयला संयंत्रों से आता है। हमने जिन 44 डेटा केंद्रों का सर्वेक्षण किया उनमें से केवल पांच ही सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे थे। चीन के डेटा सेंटर उद्योग में अलीबाबा और टेनसेंट जैसे घरेलू दिग्गज कंपनियों का दबदबा है।

2023 तक 16.3 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन
विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश होने के नाते चीन में डेटा भंडारण की मांग तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के लेखकों का अनुमान है कि पांच साल के समय में चीन के डेटा केंद्र दो-तिहाई से अधिक ऊर्जा की खपत करेंगे। 2023 में चीन की बिजली खपत 267 टेरावॉट ऑवर हो जाएगी। वहीं कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन भी 9.9 करोड़ से बढ़कर 16.3 करोड़ मीट्रिक टन तक होने की उम्मीद है। यह वृद्धि 3.5 करोड़ वाहनों से निकलने वाले धुंए से उत्पन्न कार्बन के बराबर है।
वर्तमान में चीन के डेटा सेंटर अपनी बिजली आपूर्ति के लिए 73 फीसदी कोयला, 23 फीसदी रिन्यूएबल एनर्जी और 4 फीसदी परमाणु ऊर्जा पर निर्भर है। अगर 2023 तक चीन रिन्यूएबल एनर्जी में 30 फीसदी की वृद्धि कर लेता है तो ग्रीनपीस संस्था के अनुसार 1.6 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन से बचा जा सकता है। यह 1 करोड़ राउंड-ट्रिप ट्रान्स-अटलांटिक हवाई उड़ानों से उत्पन्न होने वाले कार्बन के बराबर है। माइक्रोसॉफ्ट और अमेजऩ भी अपने डेटा केंद्रों को 100 फीसदी रिन्यूएबल एनर्जी से चलाने का लक्ष्य बना रहे हैं। अप्रैल में एक ब्लॉग पोस्ट में माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने कहा था कि कंपनी 2023 तक 70 फीसदी स्वच्छ एनर्जी का लक्ष्य लेकर चल रही है।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest Science and Tech News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi