विज्ञान और टेक्नोलॉजी

जलवायु परिवर्तन ने बादलों को किया माइनस 111 डिग्री तक ठंडा

वैज्ञानिकों ने इन्फ्रारेड सेंसर से ढूंढा अब तक का सबसे ठंडा बादल, सामान्य बादल से 30 डिग्री तक ज्यादा ठंडा था, 2018 में वैज्ञानिकों ने की थी पहचान

Apr 04, 2021 / 04:01 pm

Mohmad Imran

जलवायु परिवर्तन ने बादलों को किया माइनस 111 डिग्री तक ठंडा

सायबेरिया का गांव ओएमयाकेन, धरती की सबसे ठंडी रिहायशी जगह है। यहां करीब 500 लोग रहते हैं। यह रूस के यकुशिया क्षेत्र में है और इसे धरती पर इंसानों का सबसे ठंडा अड्डा बताया जाता है। दिसंबर में इस गांव के थर्मामीटर ने दम तोड़ दिया क्योंकि तापमान रिकॉर्ड तोड़ते हुए -62 डिग्री तक पहुंच गया। वैसे यह थर्मामीटर ओएमयाकेन में पर्यटकों को लुभाने के लिए लगाया गया था।
अब ज़रा अंदाज़ा लगाइये की अगर पर कोई ऐसा तूफानी बरस जाए जिसका खुद का तापमान इतना कम हो की इंसान की हड्डियां तक शरीर में ही चटख जाएँ। जी हाँ लेकिन ये असल में हुआ है और कोई कोरी कल्पना नहीं है। दरअसल, यूके नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जर्वेशन के वैज्ञानिक बीते कई सालों से तूफान पैदा करने वाले बादलों का अध्ययन कर रहे हैं। शोध के दौरान टीम की महिला वैज्ञानिक सिमोन प्राउड ने पाया कि 29 दिसंबर, 2018 में प्रशांत महासागर में भयंकर तूफान लाने वाले बादल का तापमान माइनस 111 डिग्री सेल्सियस (-111 degree celisius) था। टीम के लिए यह हैरान करने वाली खोज थी क्योंकि यह एक रिकॉर्ड था। इससे पहले दुनिया में इतने ठंडे बादलों का कोई प्रमाण मौजूद नहीं था।
जलवायु परिवर्तन ने बादलों को किया माइनस 111 डिग्री तक ठंडा
शोध की प्रमुख लेखिका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ साइमन प्राउड सिमोन का कहना है कि बीते कुछ दशकों में ऐसे ठंडे बादलों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। तीन सालों में ही वैज्ञानिकों ने लगभग इतने ही ठंडे बादलों की लिस्ट भी तैयार की है।
जलवायु परिवर्तन ने बादलों को किया माइनस 111 डिग्री तक ठंडा

यह वैज्ञानिक कारण..
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की शोधकर्ता और नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जरवेशन की साइंटिस्ट सिमोन प्राउड के अनुसार, दरअसल, कई बार तूफानी बादलों में इतनी ताकत होती है कि ये वायुमंडल की सबसे ऊंची परत स्ट्रैटोस्फेयर के ऊपर तक पहुंच जाते हैं। विज्ञान की भाषा में इसे ‘ओवरशूटिंग टॉप’ कहते हैं। यहां हवाएं अत्यधिक ठंडी होती हैं। ओवरशूटिंग टॉप एक सामान्य प्रक्रिया है और तूफानी बादलों का तापमान स्ट्रैटोस्फेयर में यहां तूफानी बादलों का तापमान प्रति किमी 7 डिग्री सेल्सियस कम होता जाता है। यहां हवाएं इतनी बर्फीली होती हैं कि हम बर्फ के टुकड़े में तब्दील हो जाएंगे।

जलवायु परिवर्तन ने बादलों को किया माइनस 111 डिग्री तक ठंडा

इंसानों के लिए शुभ संकेत नहीं
सिमोन का कहना है कि बीते कुछ दशकों में ऐसे बादलों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। पिछले तीन सालों में ही वैज्ञानिकों ने लगभग इसी तरह के ठंडे बादलों की लिस्ट तैयार की है। सिमोन ने यह भी बताया कि बादलों का इस सीमा तक ठंडा होना इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है। इसके चलते बड़े आकार के ओलों की बारिश हो सकती है जिससे जनहानि हो सकती है। बहुत ज्यादा बिजलियां कड़क सकती हैं और गिर सकती हैं। वहीं बर्फीले चक्रवात या तूफान भी आ सकते हैं। सिमोन के अनुसार, बादलों का तापमान इस कदर माइनस डिग्री में जाने के पीछे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग है। शोध के निष्कर्ष जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।

जलवायु परिवर्तन ने बादलों को किया माइनस 111 डिग्री तक ठंडा

30 डिग्री ज्यादा ठंडा, 400 किमी व्यास
यूके के वैज्ञानिक बीते कई सालों से तूफान पैदा करने वाले बादलों का अध्ययन कर रहे हैं। 29 दिसंबर, 2018 को यह तूफानी बादल प्रशांत महासागर में दक्षिण की ओर नाउरू नामक स्थान पर जमीन से 18 किमी की ऊंचाई पर मौजूद था। सामान्य तूफानी बादलों की तुलना में 400 किमी व्यास का यह बादल 30 डिग्री अधिक ठंडा था।

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