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दोहारा सकती है साल 684 की घटना, धरती को छूकर निकला खतरनाक पुच्छल तारा

locationनई दिल्लीPublished: May 07, 2020 04:59:08 pm

Submitted by:

Soma Roy

Comet Passed Near Earth : पुच्छल तारे से अंधविश्वास भी जुड़ा है, इसलिए इसे अनिष्टकारी माना जाता है
ओलावृष्टि और भयंकर बारिश जैसी तबाही लेकर आता है पुच्छल तारा

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नई दिल्ली। साल 2020 लोगों के लिए हर रोज नए संकट लेकर आ रहा है। पहले जहां कोरोना (Coronavirus) के चलते लोग परेशान है। वहीं आसमान से भी आफत बरस रही है। आकाशगंगा (Galaxy) में लगातर हो रही हलचल ने वैज्ञानिकों की दिल की धड़कनें बढ़ा दी है। हाल ही में धरती के बेहद करीब से एक खतरनाक पुच्छल तारा (Comet) गुजरा है। अगर इसकी टक्कर होती तो विनाश हो सकता था। इतना ही नहीं ये कई अनिष्ट का संकेत भी है। क्योंकि साल साल 684 में जब हेली पुच्छल तारा पृथ्वी के पास से गुजरा था तब तीन महीने लगातार बारिश हुई थी। साथ ही ब्लैकडेथ नाम की महामारी फैली थी।
अनिष्ट की चेतावनी
जानकारों के अनुसार पुच्छल तारा हमेशा से ही खतरे की चेतावनी देता रहा है। तभी साल 1066 में जब पुच्छल तारा धरती के पास से गुजरा था तब इंग्लैंड के सम्राट होराल्ड द्वितीय की हास्टिंग युद्ध में मौत को इससे जोड़ा गया था। इतना ही नहीं 1910 में भी अफवाह उड़ी कि हेली पुच्छल तारा धरती पर जहरीली गैस छोड़ कर जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ, लेकिन भारी मात्रा में ओलावृष्टि और बाढ़ आई थी। इसलिए इस बार पुच्छल तारे का गुजरना कोरोना महामारी के खतरे को और बढ़ाने की ओर इशारा कर रहा है। साथ लगतार हो रही बारिश और ओलावृष्टि से ये चेतावनी सही होती दिखाई दे रही है।
विज्ञान ही नहीं अंधविश्वास से भी नाता
पुराने जमाने से पुच्छल तारे को अपशगुनकारी माना जाता है। कहते हैं कि इसका गुजरना आपदा का इशारा होता है। तभी इसे देखकर लोग डरते हैं। वहीं विज्ञान में पुच्छल तारे से इसलिए भयभीत होते हैं क्योंकि इसके धरती से टकराने से तबाही आ सकती है। पुच्छल तारे के पृथ्वी से टकराने पर पुच्छल तारे पर सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव बढ़ने लगता है। इससे तारे का आकार बड़ा दिखाई देने लगता है।
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