-50 फीसदी स्वीडिश आबादी घर से काम कर रही है
-50 फीसदी तक सार्वनिक परिवहन में कमी आई है
-16 साल से कम उम्रके लोग कक्ष्खओं में जा सकते हैं, खरीदारी और बाहर खाना खाने पर पाबंदी नहीं है
-900 से ज्यादा अध्यापकों और स्टाफ ने फिजिकल-सोशल डिस्टैंसिंग की पालना बहुत मुश्किल है
-सरकार ने लॉकडाउन में सख्ती के संकेत भी दिए हैं जिसके तहत सरकार व्यवसायों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों को बंद कर सकती है, सार्वजनिक समारोहों को सीमित कर सकती है।
-सरकार ने पहले ही यूरोपीय संघ के बाहर से गैर-आवश्यक यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है
-स्वीडन के पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख कारिन टेगमार्क विसेल ने दावा किया कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या स्थिर हो रही है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जो रुझान दिखाई दे रहा है वह साफ दिखात है कि संक्रमण घटा है। नए मामले जरूर सामने आ रहे हैं लेकिन उनमें दैनिक वृद्धि नहीं हैं और संकम्रण का विस्फोट लगातार स्थिर बना हुआ है। गहन देखभाल में रोगियों के लिए भी एक ही पैटर्न देख रहे हैं।
जब इंसानों और पशुओं की आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसी संक्रामक रोग के प्रति स्वत: प्रतिरक्षित हो जाए जिससे संक्रमण खत्म या रुक जाए तो इसे हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं। इसे कम्यूनिटी इम्यूनिटी और ग्रुप प्रोटेक्शन भी कहते हैं। समय के साथ संक्रमण के खिलाफ जब शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो जाती है तो वायरस का शरीर पर कोई असर नहीं होता। यह विभिन्न रोगों के प्रसार को रोक देती है। कुछ वायरल और संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। यह श्रृंखला जब टूट जाती है तो अधिकांश लोग संक्रमण से बच जाते हैं क्योंकि संक्रमण फैलना रुक जाता हैं। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो या जिन्हें टीके न लगे हों डन्हें हर्ड इम्यूनिटी संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब आबादी का 40 फीसदी हिस्सा एक समय के बाद हर्ड इम्यूनिटी पा लेता है तो वायरस का प्रभाव खत्म हो जाता है। लेकिन ज्यादातर वायरस संबंधी महामारियों के मामलों में संक्रमण रोकने के लिए 80 से 95 फीसदी लोगों का संक्रमण के प्रति हर्ड इम्यूनिटी होना जरूरी माना गया है।