वैज्ञानिकों का दावा- ‘Vaccine लेने के बाद भी बना रहेगा Corona का खतरा’ चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के रिसर्चरों को ये निशान दक्षिण कोरिया के साचियोन शहर में मिले हैं। जिन्हें देखने के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ये निशान मगरमच्छ (Crocodile) के हैं। साइंटिफिक रिपोर्ट्स जरनल में प्रकाशित शोध के मुताबिक दक्षिण कोरिया का साचियोन शहर पुरातत्व के लिहाज से बेहद अमीर है। यहां पर छिपकिली, मकड़े और शिकारी पक्षी रैप्टर की कुछ प्रजातियों के 12 करोड़ साल पुराने अवशेष मिले हैं।
शोधकर्ताओं को इसी जगह पर 10 इंच लंबे ऐसे निशान पाए हैं जो क्रोकोडायलोमोर्फ हैं। यह क्रोकोडिलियन (crocodylomorph) समूह है जिसमें मगरमच्छ, घड़ियाल, जैसे आकार के सरीसृप शामिल हैं. ये निशान उनके पिछले दो पैरों के हैं जिससे साफ हो पाया कि ये दो पैरों के जानवरों के हैं।
पहले रिसर्चरों को लगा था कि ये निशान टेरोसॉर के हैं। यह डायनोसॉर की ही एक प्रजाति है लेकिन उसके पंख होते थे। यह डायनोसॉर 6.6 करोड़ साल पहले तक धरती पर मौजूद थ। लेकिन अब इन्हें क्रोकोडाइलोमॉर्फ फैमिली का एक सदस्य बताया जा रहा है जिसकी अब तक खोज नहीं हुई थी। करीब 10 ईंच लंबे पैरों के निशान से मगरमच्छ के इस रिश्तेदार के आकार का आकलन किया गया है।
Chinju National University of Education के क्युंग सू किम भी मानते हैं कि “वो ऐसे ही चल रहे थे जैसे कि डायनोसॉर, लेकिन पैरों के ये निशान डायनोसॉर के नहीं हैं।” वहीं University of Colorado Denver के पैलेएंटोलोजिस्ट और शोध के सहलेखक मार्टिन लॉकले का कहना है, “यहां एक साइट पर हमारे पास दो पैरों पर चलने वाले मगरमच्छ के पहले ठोस और निर्णायक प्रमाण हैं। ये जानवर हमेशा ही संकरे रास्ते बनाते हुए चलते थे, उनके आगे के पैरों के निशान कभी नहीं मिले।
Brazil के राष्ट्रपति.. जो Corona में हो रही मौत को नियति मानते हैं The University of Queensland, Australia के वैज्ञानिक एंथनी रोमिलियो के मुताबिक पैरों के निशान किसी वयस्क इंसान के जितने ही लंबे हैं। हालांकि इनके शरीर की “लंबाई तीन मीटर से ज्यादा तक की रही होगी। इसका मतलब है कि वह अपने समकालीन रिश्तेदारों की तुलना में करीब दोगुना लंबा था। यह प्राचीन मगरमच्छ मुमकिन है कि दो पैरों पर चलता रहा होगा और इंसानों की तरह ही अपनी एड़ी घसीटता होगा। यही वजह है कि इसके पैरों के निशान काफी गहरे हैं।