scriptfake चेहरे से लोगों को लुभा रहे हैं डेटिंग ऐप वेब्सीटेस, artificial intelligence का इस्तेमाल कर बना रहे चेहरे | Dating apps need women. Advertisers need diversity, so use fake faces | Patrika News

fake चेहरे से लोगों को लुभा रहे हैं डेटिंग ऐप वेब्सीटेस, artificial intelligence का इस्तेमाल कर बना रहे चेहरे

locationजयपुरPublished: Jan 14, 2020 05:51:20 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कंपनियां फेक चेहरों से बिजनेस बढ़ाने में कर रहीं हैं मदद

fake चेहरे से लोगों को लुभा रहे हैं डेटिंग ऐप वेब्सीटेस, artificial intelligence का इस्तेमाल कर बना रहे चेहरे

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अगर आप भी डेटिंग ऐप (dating apps) पर अपने लिए कोई साथी ढूंढ रहे हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। ऐप की वेबसाइट पर मौजूद उन सुंदर चेहरों पर मंत्रमुग्ध होने से पहले यह जांच लें कि वह चेहरा इस दुनिया में है भी या नहीं? जी हां, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) स्टार्टअप कंपनियां कंप्यूटर जनित चेहरों की तस्वीरें बेच रहे हैं, जो बिल्कुल असली चेहरे प्रतीत होते हैं। दरअसल, डेटिंग ऐप कंपनियां कम लागत में बिना मॉडल या ऐप पर खुद को रजिस्टर करवाने वाले लोगों के बिना अपने विज्ञापनों में इन ‘काल्पनिक मॉडल’ के जरिए विविधता बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। एक अमरीकी एआइ फर्म ऐसी ही सुविधा दे रही है जहां वह marketing brocher के लिए ‘फेक तस्वीरें’ (fake pictures ) बेचने की पेशकश कर रही है। इतना ही उसे ग्राहक भी मिल गए हैं जिनमें कई नामी-गिरामी डेटिंग और मैट्रीमोनियल वेबसाइट्स (matrimonial websites)भी शामिल हैं। यह फर्म एक चैटबॉट (chatbots) के जरिए इन तस्वीरों का उपयोग करती है। ऐसी ही एक अन्य कंपनी का कहना है कि वह एआई की बनाई हेडशॉट और चेहरे के अलग-अलग अंगों को बनाकर नई पीढ़ी के आभासी मॉडल तैयार कर रही है।
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आसानी से उपलब्ध सॉफ्टवेयर
इस तरह के चेहरे बनाने में उपयोग किया जाने वाला सॉफ्टवेयर आसानी से प्लेस्टोर (play store) और ऑनलाइन उपलब्ध है और इसकी तकनीक में तेजी से सुधार भी हो रहा है। यही वजह है कि हाल ही दौड़ में उतरे एआई स्टार्टअप भी आसानी से फेक चेहरे बनाने में सक्षम हैं। ये सॉफ्टवेयर वास्तविक चेहरों के एक विशाल डेटाबेस को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए नए चेहरे और सभी जरूरी फीचर्स हूबहू बनाने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।
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बिजनेस मॉडल बन गए तरीके
लेकिन एआई विशेषज्ञों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि ऐसे फेक चेहरे स्कैमर्स, बॉट्स और जासूसों की एक नई पीढ़ी को जन्म देंगे जो इन तस्वीरों का इस्तेमाल कर काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। तथ्य यह है कि इस तरह के सॉफ्टवेयर अब एक बिजनेस मॉडल बन गए हैं। इसका उदाहरण है इंटरनेट पर मौजूद deep fake वीडियो और अन्य भ्रामक तकनीकों का इस्तेमाल कर घृणा, युद्ध के हालात और वैश्विक तनाव पैदा करने में भी सक्षम हैं। साथ ही यह ऑनलाइन सामग्री को भी विश्वासघात का मुखौटा लगा रहा है।
सबसे बड़ी समस्या है कि इन तस्वीरों की पहचान करने के लिए कोई सटीक पैमाना नहीं है।
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क्या करने में सक्षम हैं

ऐसी साइटें किसी को भी उम्र के आधार पर (शिशु से बुजुर्ग, जातीयता, श्वेत-अश्वेत, किसी भौगोलिक विशेषता और भावना) को फिल्टर करने और बनाने की सुविधा देती हैं। यहां तक की इंसानी चेहरे की खास भावनाओं जैसे हैरानी, लिंग, आंखों का रंग और बालों की लंबाई तक को अपने हिसाब से बना सकते हैं। एक कारण विज्ञापन कंपनियों की ओर से ऐसी साइटों से और ज्यादा विविधता वाले चेहरों की मांग करना भी है। लॉस एंजेलिस स्थित टैलेंट एजेंसी रोल मॉडल्स के सह-संस्थापक वेलेरी इमैनुएल का कहना है कि इस प्रकार की नकली तस्वीरें इस माध्यम को एक मोनोकल्चर में बदल सकती हैं, जहां अधिकांश चेहरे एक जैसे दिखते हैं।
-1 लाख फोटो चुने जाते हैं इसमें से websites के ज़रिये
-10 हजार फोटो एक महीने में ले सकता है क्लाइंट एक महीने में 100 डॉलर मासिक के शुल्क पर
-2000 से ज्यादा क्लाइंट पंजीकृत हैं कंपनी के वेबसाइट पर
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