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WORLD UFO DAY 02 JULY, 2020: सिर्फ हम ही नहीं, यूएफओ भी रखते हैं आसमान पर अधिकार

locationजयपुरPublished: Jul 02, 2020 03:20:39 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

हर साल पूरी दुनिया में यूएफओ और परग्रही जीवों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 2 जुलाई को विश्व यूएफओ दिवस मनाया जाता है। दुनिया के अलग अलग देशों में बीते 100 साल से भी ज्यादा समय से यूएफओ देखे जाने की घटनाएं सामने आई हैं।

WORLD UFO DAY 02 JULY, 2020: सिर्फ हम ही नहीं, यूएफओ भी रखते हैं आसमान पर अधिकार

WORLD UFO DAY 02 JULY, 2020: सिर्फ हम ही नहीं, यूएफओ भी रखते हैं आसमान पर अधिकार

सृष्टि की शुरुआत के साथ ही इंसानी कल्पना ने क्षितिज के उस पार की दुनिया के बारे में भी जानने की जिज्ञासा पाल ली थी। लेकिन तकनीकी उन्नति तक यह जिज्ञासा केवल कल्पना के आसमान तक ही सीमित रही। इस बीच अचानक 73 साल पहले अमरीका में सबसे पहले यूएफओ (UFO or UN-IDENTIFIED FLYING OBJECTS) देखे जाने की घटना सामने आई। उसके बाद तो लगातार आसमान में ऐसे अनजाने ऑब्जेक्ट्स (OBJECTS) के अलग-अलग देशों में देखे जाने का लोगों ने जिक्र किया। हाल के कुछ दिनों में दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने यूएफओ और एलियंस (ALIENS) के बारे में बहुत सी नई थ्योरी सामने रखी हैं लेकिन हकीकत यह है कि अब भी इनके बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी नहीं है। हाल ही नासा के पूर्व शोधकर्ता और यूएफओ विशेषज्ञ प्रोफेसर केविन नुथ (KEVIN KNUTH) ने यूएफओ के बारे में एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने अमरीका के एरिया 51 और रूस के यूएफओ शोध का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया की बहुत सी सरकारों के पास इस विषय पर बेशकीमती जानकारियां हैं लेकिन उसे लोगोंसे छुपा के रखा जा रहा है। तो क्या सच में यूएफओ होते हैं या यह हमारी कपोल कल्पनाएं हैं? अगर होते हैं तो क्या होता है यूएफओ, कैसे दिखते हैं और क्या ये कभी धरती पर उतरे हैं? क्या करने आते हैं ये जमीन पर इंसानों के बीच, आइए जानते हैं इस खबर में।
WORLD UFO DAY 02 JULY, 2020: सिर्फ हम ही नहीं, यूएफओ भी रखते हैं आसमान पर अधिकार
क्या होते हैं ‘यूएफओ’ (What Are Un-Identified Flying Objects)
दरअसल यूएफओ यानी ‘अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट’ उडऩतश्तरीनुमा आकाशीय यान जैसे होते हैं। आसमान में दिखने वाली ऐसी कोई भी चीज जो इंसानों ने नहीं बनाई हो और वो कोई प्राकृतिक सिद्धांत पर आधारित न हो, उसे आमतौर पर यूएफओ कहा जाता है। यूएफओ अज्ञात उडऩे वाली वस्तु या एलियन लाइफ फॉम्र्स भी कहा जाता है। 2001 में स्थापित एक संगठन ने विश्व यूएफओ दिवस (World UFO Day) मनाने का फैसला किया ताकि यूएफओ में दिलचस्पी रखने वाले सभी लोग सबूत जुटा सकें जो उन्होंने अलौकिक प्राणियों की मौजूदगी को साबित करने में सहयोग कर सकें। विश्व यूएफओ दिवस संगठन इस दिन को लोगों को यह सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है कि मानव ब्रह्मांड में अकेला प्राणी नहीं हैं। विश्व यूएफओ दिवस 24 जून और कुछ अन्य देशों में 2 जुलाई को मनाया जाता है। दरअसल, 24 जून को एविएटर केनेथ अर्नोल्ड ने अमरीका में एक यूएफओ देखा था। साल 1953 में यूनाइटेड स्टेट्स एयरफोर्स ने इसे यूएफओ नाम दिया ताकि इनका रिकॉर्ड रखा जा सके। 1940 से 50 के दशक में इन्हें आम तौर flying disc भी कहा जाता था।
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अलग-अलग देशों में दिखे UFO
इतिहासकारों का मानना है कि सबसे पहले जर्मनी में साल 1561 के आसपास उडऩ तश्तरी देखी गई थी। जर्मनी के नूरेमबर्ग में यह घटना देखी गई थी। लोगों ने आसमान में एक बड़ी और अजीबो-गरीब उड़ती हुई प्लेट जैसी आकृति देखे जाने का दावा किया था। उस वक्त के प्राप्त चित्रों के आधार पर इस तथ्य की पुष्टि की जाती है। इसके बाद 1897 में अमरीका के टेक्सास में भी ऐसी ही एक चमकदार वस्तु आकाश में नजर आई थी, जिसमें बाद में विस्फोट हो गया था। ऐसे ही ‘रूसवेल क्रैश’ यूएफओ इतिहास का सबसे चर्चित केस माना जाता है। दरअसल, अमरीका के न्यू मेक्सिको के रूसवेल की साल 1947 की घटना है जहां एक संदिग्ध ‘गुब्बारे’ का क्रैश हुआ था। वहां रहने वाले कई लोगों ने ये माना था कि क्रैैश हुआ मलबा, यूएफओ का है। लेकिन बाद में अमरीकी एयरफोर्स ने दावा किया था कि मलबा यूएफओ का नहीं बल्कि मौसम जांचने वाले गुब्बारे का है।
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भारत में भी दिखे हैं यूएफओ
ऐसा नहीं हैकि केवल विदेशों में ही यूएफओ दिखाई दिए हैं। भारत में भी कई बार यूएफओ के देखे जाने का दावे किए जाते रहे हैं। साल 2014 में लखनऊ, 2015 में कानपुर, दिल्ली और 2016 में बाड़मेर से ऐसे दावे किए गए और सबूत के तौर पर तस्वीरें भी पेश की गईं। दिल्ली में एक फ्लाइिंग क्लब के 25 सदस्यों ने साल 1951 में दावा किया था कि आकाश में करीब 100 फुट लंबी एक आकृति देखी गई, जो सिगार के जैसे नजर आ रही थी। वह बेहद चमकदार थी, जो पलक झपकते ही आंखों के सामने से गायब हो गई। इसी तरह 29 अक्टूबर 2008 को पूर्वी कोलकाता में आसमान में तेजी से एक बड़ी चीज उड़ती हुई दिखी। इसे एक हैंडीकैम से फिल्माया गया। अजीबो-गरीब चीज से कई रंग निकलते दिखाई दिए। कई लोगों ने इसे देखा था। लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों की बात करें तो पिछले 70 सालों में यह ज्यादा नजर आए हैं। यूएफओ के अध्ययन को यूएफोलॉजी कहा जाता है। इसका अध्ययन करने वाले दिन-रात एक करके आज भी उस रहस्य का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर उडऩ तश्तरी की वास्तविकता क्या है। कई बार उल्का पिंड या चमकदार बादल को भी लोग यूएफओ का नाम दे देते हैं।
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रूसवैल क्रैश के अलावा UFO दिखने की कई बड़ी घटनाओं का दावा किया जाता रहा है। सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान कई फायटर प्लेन के पायलट ने आकाश में UFO जैसी चीजों को देखा और उनकी तस्वीरें ली थी।साल 1997 में अमेरिका के नेवादा के हजारों लोगों ने आकाश में V-Shape पैटर्न को देखा था।

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