ब्रिटेन ( britain) के लिंकन
यूनिवर्सिटी (
university )के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार-एक्जोप्लेनेट, हमारे सौर मंडल के बाहरी ग्रह है, जिनको बाह्य ग्रह भी कहा जाता है। बता दें कि अब तक लगभग 4,000 एेसे ग्रहों की खोज की जा चुकी हैं। जिनके छोटे से हिस्से पर जीवन की संभावना है। जो रहने योग्य क्षेत्रर के रुप में माना जा रही हैं।
हालांकि कुछ ग्रह विशेषतौर पर गैस से बने विशालकाय ग्रहों में ऐसे चंद्रमा हो सकते हैं, जिसमें तरल के रूप में जल हो सकता है। लिंकन यूनिवर्सिटी के फिल जे सूटोन के अनुसार-इन चंद्रमाओं के आस-पास चक्कर लगाने वाले ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से भीतरी हिस्से को गर्म किया जा सकता है जो उन ग्रहों के आवास योग्य क्षेत्र के बाहर द्रव हो सकता है। जिसमें जल का मौजूद होना कहा जा सकता है।
सूटोन के अनुसार-‘उनका मानना है कि अगर हम उन्हें ढूंढने में सक्षम हुए तो चंद्रमाओं पर धरती की तरह ही जीवन ढूंढने का मार्ग में सफलता मिल सकती है।’ हालांकि रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में प्रकाशित पत्रिका अनुसार-इस अध्ययन में एक्सोप्लेनेट J1407b की परिक्रमा करने वाले चंद्रमाओं की संभावना का पता लगाया गया कि को देखते हुए विश्लेषण किया गया किक्या उन्होंने ग्रहों के रिंग सिस्टम में कोई दरार पैदा की है? पृथ्वी से दूरी और उनके आकार की वजह से बाह्य चंद्रमाओं का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
इस कारण से वैज्ञानिकों को ग्रहों के छल्ले समेत उनके आस-पास की अन्य चीजों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना पड़ता है। मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में प्रकाशित अध्ययन में सूटोन ने J1407b के चारों और के छल्लो के मॉडल को करीब से जानने के लिए
कंप्यूटर (
Computer ) सिमुलेशन चलाया गया। जो शनि के चारों ओर की तुलना में 200 गुना बड़ा है।