scriptबरमूडा ट्रायंगल का रहस्य सुलझाने को तैयार बिहार के ये चार छात्र | four boys of bihar are claiming to solve bermuda triangle mystery | Patrika News

बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य सुलझाने को तैयार बिहार के ये चार छात्र

locationनई दिल्लीPublished: Dec 05, 2017 04:57:06 pm

Submitted by:

Ravi Gupta

यह रहस्य है अटलांटिक महासागर का बरमूडा ट्रायंगल, जहां माना जाता है कि हर साल औसतन 20 छोटे जहाज और चार विमान समा पानी में समा जाते हैं

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नई दिल्ली। यह बात तो आपने सुनी ही होगी कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। इसी बात को अपने जीवन में इन छात्रों ने उतारकर उस रहस्य से पर्दा फाश करने की कोशिश की जिसे सब जानने को बेताब रहते हैं। इन लोगों ने ऐसा कुछ कर दिखया जिस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है। यह नामुमकिन काम किया है मुजफ्फरपुर के चार छात्रों ने।

अपनी जिज्ञासा और लगन के चलते और सीमित संसाधनों के बावजूद दुनिया के सबसे बड़े रहस्य से पर्दा उठाने का दावा यह छात्र कर रहे हैं। यह रहस्य है जिसके लिये दुनिया के विकसित देशों के वैज्ञानिकों ने सालों रिसर्च किया लेकिन नतीजा कुछ ना मिला। यह अपने आधुनिक डिवाइस की मदद से रहस्य पर से पर्दा उठाना चाहते हैं दुनिया को इसकी सच्चाई बताना चाहते हैं। यह रहस्य है अटलांटिक महासागर का बरमूडा ट्रायंगल, जहां माना जाता है कि हर साल औसतन 20 छोटे जहाज और चार विमान समा पानी में समा जाते हैं या दूसरे शब्दों में कहें बरमूडा ट्रायंगल उन्हें लील लेता है। यही वजह है कि हजारों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। बरमूडा ट्रैंगल के जानलेवा रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश में दो वर्षों से यह चार बच्चे जिनका नाम है आर्यण, कुशाग्र, सत्यम और विश्वजीत यह सभी इसी कोशिश में लगे हैं के इस रहस्य से पर्दा उठ सकें।

Bermuda Triangle

इन चरों छात्रों के अपने रिसर्च में यह दावा किया है कि हमारे बनाए गए डिवाइस बरमूडा ट्रायंगल के भीतर की दुर्लभ तस्वीर बहार लेकर आएगी जिससे हम उसके अंदर हो रही हलचल को देख पाएंगे। इस डिवाइस की मदद से हम हर साल इसके शिकार होने वाले हजार लोगों को मरने से बचा सकते हैं। इन छात्रों के काम की प्रशंसा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी कर चुके हैं। जिस स्कूल में यह चरों पढ़ते हैं उस स्कूल की प्राचार्य बताती हैं कि इन चारों छात्रों में विज्ञान के प्रति इतनी जिज्ञासा थी कि छात्र मैग्नेट चैप्टर की पढ़ाई के दौरान ही इसके खोज की ठान ली थी। पीएमओ कार्यालय से इन छात्रों को हरी झंडी मिल गई है जिससे इन छात्रों के हौसले ने उड़ान बहार ली है। लेकिन डिवाइस बनाने वाले छात्रों को गोवा में खुद को प्रमाणित करने का बेसब्री से इंतजार है जिससे उनके फार्मूले पर दुनिया की मुहर लग सके।

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