गूगल के क्रियेटिव लैब के इंटरैक्टिव प्रोड्यूशर रेयान बुर्क ने एक ब्लॉग पोस्ट में गुरुवार को कहा, इस अनुभव के बेववीआर का प्रयोग कर बनाया गया है, जो एक ऐसी टेक्नॉलजी है जो बिना किसी एप को इंस्लाट किए आपके ब्राउसरर पर आभासी वास्तविकता मुहैया कराती है। आप इसे वर्चुअल रियलिटी हेडसेट, फोन, या लैपटॉप पर देख सकते हैं।
यह अनुभव नासा जेट प्रोप्लसन लेबोरेटरी के ऑनसाइट सॉफ्टवेयर की मदद से निर्मित किया गया है, जो वैज्ञानिकों को रोवर ड्राइव की योजना बनाने तथा यहां तक कि मंगल ग्रह पर बैठकें आयोजित करने में मदद करता है।
इस भागीदारी का नेतृत्व करने वाले जेपीएल के ओपीएस लैब के प्रमुख परियोजना प्रबंधक विक्टर लू ने बताया, हम वीआर और एआर प्रौद्योगिकीयों की मदद से हमारे वैज्ञानिकों को रोजाना मंगलवार पर ले जाने में सक्षम होते हैं। अब दुनिया का हर व्यक्ति मंगल की सैर कर सकेगा।
मंगलयान ने भेजी मंगल की नई तस्वीरें
बेंगलूरु! मंगल ग्रह पर भेजे गए भारतीय अंतरिक्षयान के उपकरण मार्स कलर कैमरा (एमसीसी) ने मंगल की एक नई तस्वीर भेजी है। इस तस्वीर में मंगल ग्रह के प्रमुख ज्वालामुखी स्पष्ट देखे जा सकते हैं। ब्लैक आउट से निकलने के बाद मंगलयान ने 8 अक्टूबर 2017 को 70 हजार 157 किमी की ऊंचाई से यह तस्वीर ली है। इसमें मंगल ग्रह पर मौजूद सबसे बड़ी ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स तथा उसके सामने तीन अन्य ज्वालामुखी आर्सिया मॉन्स, पैवनिस मॉन्स और एस्क्रेयस मॉन्स नजर आ रहे हैं। ओलंपस मॉन्स सौरमंडल की सबसे बड़ी ज्वालामुखी है और इसकी ऊंचाई माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से लगभग तीन गुणा अधिक है।
वहीं अर्सिया मॉन्स तीन ज्वालामुखियों में से सबसे सुदूर दक्षिणी है और मंगल ग्रह के भूमध्य रेखा के नजदीक थर्सिस उठान पर स्थित है। आर्सिया के उत्तर में पैवनिस मॉन्स है और उसके आगे उत्तर में एस्क्रेयस मॉन्स है। तीनों ओलंपस मॉन्स के सामने नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर के हर पिक्सल का रिजोल्यूशन 3.5 किमी है।
गौरतलब है कि मंगलयान ने पिछले 24 सितम्बर को ही मंगल ग्रह की कक्षा में तीन साल पूरे किए हैं। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगलयान का प्रक्षेपण 5 नवम्बर 2013 को किया गया और यह 24 सितम्बर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया। यह मिशन अभी भी सक्रिय है।