संयोग से नहीं मिली थीं गुरुत्वाकर्षण तरंगें, इनका वजूद पुख्ता
Published: Jun 16, 2016 01:04:00 pm
लीगो डिटेक्टर्स ने वाशिंगटन के हैनफोर्ड और लूसियाना के लिविंगस्टन में दो ब्लैक होल के संघीकरण को डिटेक्ट किया था
black hole gravitational waves
पुणे। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की बाइनरी ब्लैक होल विलय से निकलने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगो की भविष्यवाणी के सौ साल बाद पिछले साल सितंबर में मिलीं गुरुत्वाकर्षण तरंगे कोई गलती से मिली खोज नहीं थी। इनका वजूद पुख्ता है। इसका सबूत ये है कि जिन वैज्ञानिकों ने इन्हें खोजा था, उन्हें यह तरंगे पिछले साल दिसंबर में दोबारा भी मिली थीं। अमेरिका की लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेब ऑब्जरवेटरी (लीगो) के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है।
संस्थान ने बुधवार को कहा कि सितंबर यह एक संयोग मात्र नहीं था, पिछले वर्ष 16 दिसंबर को एक सेकेंड के लिए इस घटना को चिन्हित किया गया था। लीगो की टीम ने इस घटना की सूचना अमरेकी मीडिया के सामने दी। यह अनुसंधान टीम लीगो साईंसटीफिक ग्रुप के सहयोग से अमेरिका में की जा रही है, जिसमें भारत समेत 14 देशों के 1000 वैज्ञानिक शामिल हैं। 26 दिसंबर 2015 को लीगो डिटेक्टर्स ने वाशिंगटन के हैनफोर्ड और लूसियाना के लिविंगस्टन में दो ब्लैक होल के संघीकरण को डिटेक्ट किया था, जिसका द्रव्यमान 14 था जो सूर्य के द्रव्यमान का आठ गुणा है। इन ब्लैक होलों के कई बार रोटेट होने व एक साथ विलय होने पर इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 21 गुणा ज्यादा था।
आईयूसीएए के अनुसंधानकर्ता ने पूणे में कहा कि हमारे वैज्ञानिक इस खोज को लेकर सही कदम पर आगे बढ़ रहे हैं। आईयूसीएए के वैज्ञानिक प्रोफेसर तरुण ने कहा कि गुरुत्वाकर्षण तरंग से संबंधित खोज को निरंतर भारत में भी किया जा रहा है।