खुलेंगे रहस्यों के पर्दे
डेव स्टैंटन ने डोगोर की पसलियों की हड्डी का परीक्षण कर बताया कि यह बर्फ में जमने के समय करीब दो महीने का रहा होगा। इसे बीते साल याकूतिया के स्थानीय लोगों ने खोजा था। इतनी अच्छी हालत में मिला यह अब तक की सबसे कम उम्र का संरक्षित जीव है। इसने रूस ही नहीं बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। फिलहाल रूसी वैज्ञानिकों के साथ स्वेडन और इंग्लैंड में शोधकर्ता भी डोगोर के शरीर का अध्ययन कर रहस्यमयी विकासक्रम को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं।
डेव स्टैंटन ने डोगोर की पसलियों की हड्डी का परीक्षण कर बताया कि यह बर्फ में जमने के समय करीब दो महीने का रहा होगा। इसे बीते साल याकूतिया के स्थानीय लोगों ने खोजा था। इतनी अच्छी हालत में मिला यह अब तक की सबसे कम उम्र का संरक्षित जीव है। इसने रूस ही नहीं बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। फिलहाल रूसी वैज्ञानिकों के साथ स्वेडन और इंग्लैंड में शोधकर्ता भी डोगोर के शरीर का अध्ययन कर रहस्यमयी विकासक्रम को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं।
40 हज़ार साल पहले आस्तित्त में आये श्वान अभी तक के अध्ययनों से पता चला है कि डोगोर के बर्फ में जमने का काल वह समय है जब पृथ्वी से कई भेडिय़ा प्रजाति लुप्त हो रही थीं और श्वान उनकी जगह ले रहे थे। वास्तव में वे भेडिय़ों से कैसे और कब विकसित हुए यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालिया शोध कु अनुसार आज से करीब 20 हजार से 40 हजार साल पहले श्वान भेडिय़ों से विकसित हो एक नई प्रजाति के रूप में सामने आए थे। डोगोर इसी कड़ी को जोडऩे का काम कर सकता है।