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भारतवंशी शोधार्थी ने बनाई फोन आधारित आईट्रैकिंग प्रणाली

Published: Jun 22, 2016 08:59:00 pm

यह आई ट्रैकिंग के मौजूदा तकनीक को और सुलभ बनाने के अलावा यह न्यूरोलॉजिक
बीमारियों और मानसिक रोगों के लक्षण का पता लगाने में भी मदद कर सकता है।

Phone Tracking

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न्यूयॉर्क। भारतीय मूल के एक शोधार्थी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो किसी भी स्मार्टफोन को एक आईट्रैकिंग डिवाइस में बदल सकता है। यह खोज मनोवैज्ञानिक प्रयोग और विपणन अनुसंधान में काफी मदद कर सकती है। यह आई ट्रैकिंग के मौजूदा तकनीक को और सुलभ बनाने के अलावा यह न्यूरोलॉजिक बीमारियों और मानसिक रोगों के लक्षण का पता लगाने में भी मदद कर सकता है। हालांकि इसके लिए अलग से एक डिवाइस कम ही लोग रखते हैं, इसलिए इसके लिए एप्लीकेशन विकसित करने का कोई फायदा नहीं है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंसेज के ग्रेजुएट छात्र आदित्य खोसला ने इसे विस्तार से बताया, अब तक इस प्रकार का कोई एप्लीकेशन नहीं था। चूंकि इस डिवाइस को खरीदने से लोगों को कोई फायदा भी नहीं मिलता, लिहाजा हमने सोचा कि इस घेरे को तोड़ा जाए और ऐसा आईट्रैकर विकसित करने का सोचा जिसे केवल एक मोबाइल डिवाइस से भी चलाया जा सके, जो मोबाइल के आगे के कैमरे के इस्तेमाल से चलाया जाता है।

खोसला और एमआईटी और युनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के उसके सहकर्मियों ने आईट्रैकर का निर्माण किया है। इस तकनीक के तहत कंप्यूटरों को किसी खास पैटर्न के आधार पर काम करना सिखाया जाता है। इसके लिए बार-बार मशीनों को लंबे समय तक प्रशिक्षण दिया जाता है।

खोसला का कहना है कि वर्तमान में इस मशीन को 1,500 मोबाइल डिवाइस के पैटर्न का प्रशिक्षण दिया गया है। इससे पहले जो आईट्रैकर विकसित किया गया था, उसे महज 50 लोगों के आंकड़ों से प्रशिक्षण दिया गया था।

खोसला ने कहा, ज्यादातर अध्ययनकर्ता लोगों को प्रयोगशाला में बुलाकर अध्ययन करते हैं। लेकिन इस तरीके से ज्यादा लोगों को बुलाना काफी कठिन था। यहां तक कि 50 लोगों को बुलाना ही कठिन प्रक्रिया है, लेकिन हमने सोचा इसे क्राउडफंडिंग की मदद से किया जा सकता है।

अपने शोधपत्र में शोधकर्ताओं ने शुरुआती प्रयोग के बारे में लिखा है और बताया है कि शुरू में 800 लोगों के मोबाइल के आंकड़ों से यह अध्ययन किया गया। उसके आधार पर हम इस प्रणाली की गलती की संभावना को 1.5 सेंटीमीटर तक ले आए, जोकि पिछली प्रणाली की तुलना में आधी थी।

शोधकर्ताओं ने एमेजन के मैकेनिकल टर्क क्राउडसोर्सिंग वेबसाइट के माध्यम से आवेदकों की भर्ती की और हर सफल आवेदक के लिए उन्हें छोटा-सा शुल्क भी अदा किया। इसके बाद इस प्रणाली के आंकड़ों में प्रत्येक प्रयोगकर्ता की 1.600 तस्वीरें डाली गई है।

एमआईटी के कंप्यूटर साइंस व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लेबोरेटरी और युनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के शोधकर्ताओं का दल अपने नए प्रणाली का पत्र लास बेगाल में 28 जून को आयोजित होनेवाले ‘कंप्यूटर विजन एंड पैटर्न रिकॉगनिसन’ सम्मेलन में प्रस्तुत करेंगे।
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