Scientist reaearch: वैज्ञानिकों को मिले नए सितारे,जो बदलते हैं अपनी चमक
तारों के गोलाकार गुच्छों की रचना से मिलेगी अकाशगंगा के अनसुलझे रहस्यों की जानकारी
एआरआईईएस के निर्देशक वहाबउद्दीन ने इन नए परिवर्तनशील सितारों की खोज को एक “दुर्लभ उपलब्धि” बताया है। इसके साथ ही यह भी बताया कि इन सितारोें की चमक अकाशगंगा में बदलती रहती है। इस बारें में एआरआईईएस संस्थान के पूर्व निर्देशक और वर्तमान वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल पांडेय के अनुसार, ‘कोमा बेरेनाइसीस’नक्षत्र में ग्लोबुलर क्लस्टर (तारों के झुंड) ‘NGC 4147’ से इन सितारों ( stars ) की पहचान की गई है।
मीडिया एजेंसी ( media agency ) की रिपोर्ट के अनुसार, पांडेय ने बताया कि इस महत्वपूर्ण खोज से तारों के गोलाकार गुच्छों की रचना के बारे में भविष्य ( future ) की जानकारी से मदद मिलेगी साथ ही आकाशगंगा के और कई अनसुलझे रहस्य जान पाएंगे।
उन्होंने बताया कि नए परिवर्तनशील तारों की खोज के अलावा, अध्ययन से ‘एनजीसी 4147’ की आंतरिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं। यह तारागुच्छ पृथ्वी से पहले जितना सोचा गया था उससे ज्यादा पास स्थित हैं।
इस खोज को डॉ. स्नेहलता, डॉ. एके पांडेय और उनकी अनुसंधान टीम ने 2016 में नैनीताल के पास स्थापित 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप यानी दूरबीन की मदद से गोलाकार क्लस्टर एनजीसी 4147 की फोटोमेट्रिक से पता लगाया। जिसमें आकाशगंगा में तारों के समूह में तारे परिवर्तनशील होने के अलावा अपनी चमक भी बदलते रहते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा लगता है कि आकाशगंगा में इन गोलाकार समूहों की सबसे पुरानी आबादी है। उनकी उत्पत्ति और आकाशगंगा विकास में इनकी भूमिका अभी स्पष्ट नहीं हुई है।