विकासकर्ता केंद्रित कार्यक्रमों और ‘कोड आधुनिकीकरण’ कार्यशालाओं के माध्यम से विकास डेवलपर, डेटा वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए एआई क्षेत्र में प्रवेश की बाधाओं को कम करेगा। इंटेल इंडिया के सेल्स एंड मार्केटिंग ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रकाश माल्या ने कहा, इस साल अप्रैल में, ‘इंडिया एआई डे’ में हमने प्रतिबद्धता जताई थी कि देश में 15,000 डेवलपर्स को प्रशिक्षित करके न केवल व्यवसायों में बल्कि सरकार और अकादमिक क्षेत्र में भी तकनीक को ग्रहण करने पर जोर देकर सक्षम बनाएंगे।
माल्या ने कहा, आज, छह महीने बाद, हम गर्व से कह सकते हैं कि हमने 90 संगठनों के 9500 डेवलपर्स, छात्रों और प्रोफेसरों के साथ काम किया है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत केवल एआई के लिए तैयार नहीं है बल्कि परिणाम देने के लिए तैयार है। इस सम्मेलन में 400 से अधिक डेवलपर्स ने हिस्सा लिया था।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में शिक्षकों को हासिल करनी होगी महारत
अभी तक मैगजींस और फिल्मों से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बारे में लोगों को जानकारियां मिलती रहीं हैं। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उसका असर दिखाई देने लगा है। शिक्षकों के लिए जरूरी हो गया है कि एआई तकनीक की दक्षता में समय रहते महारत हासिल कर लें। अन्यथा व्यवस्था में बने रहना मुश्किल होगा। दरअसल चॉक और ब्लैकबोर्ड का स्थान टैबलेट, डेस्कटॉप और लैपटॉप ने ले लिया है। सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर देखा जा सकता है। संभावना है कि भविष्य की शिक्षा पद्धति के प्रतिमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) के बल पर गढ़े जाएंगे। यानि उसी के अनुरूप शिक्षकों को व्यवस्था में बने रहने के लिए खुद को अपग्रेड करना होगा।
अभी तक मैगजींस और फिल्मों से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बारे में लोगों को जानकारियां मिलती रहीं हैं। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उसका असर दिखाई देने लगा है। शिक्षकों के लिए जरूरी हो गया है कि एआई तकनीक की दक्षता में समय रहते महारत हासिल कर लें। अन्यथा व्यवस्था में बने रहना मुश्किल होगा। दरअसल चॉक और ब्लैकबोर्ड का स्थान टैबलेट, डेस्कटॉप और लैपटॉप ने ले लिया है। सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर देखा जा सकता है। संभावना है कि भविष्य की शिक्षा पद्धति के प्रतिमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) के बल पर गढ़े जाएंगे। यानि उसी के अनुरूप शिक्षकों को व्यवस्था में बने रहने के लिए खुद को अपग्रेड करना होगा।
आमूलचूल बदलाव
पियर्सन की रिपोर्ट में बताया गया है कि एआई पर अमल से शिक्षण व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव आएगा। भविष्य में शिक्षा तकनीक आधारित होंगे। बच्चे इसमें दक्ष होंगे। अस्तित्व का संकट
एआई के दौर में परंपरागत शिक्षण पद्धति पर जोर देने वाले शिक्षकों के समक्ष अस्तित्व का संकट इसलिए उत्पन्न हो गया है क्योंकि अधिकांश शिक्षक नवाचार को स्वीकार करने को तैयार नहीं होते हैं। यथास्थिति के पोषक होते हैं।
पियर्सन की रिपोर्ट में बताया गया है कि एआई पर अमल से शिक्षण व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव आएगा। भविष्य में शिक्षा तकनीक आधारित होंगे। बच्चे इसमें दक्ष होंगे। अस्तित्व का संकट
एआई के दौर में परंपरागत शिक्षण पद्धति पर जोर देने वाले शिक्षकों के समक्ष अस्तित्व का संकट इसलिए उत्पन्न हो गया है क्योंकि अधिकांश शिक्षक नवाचार को स्वीकार करने को तैयार नहीं होते हैं। यथास्थिति के पोषक होते हैं।
अहम रोल
शिक्षकों की भूमिका को अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि ऑटोमैटिक ग्रेडिंग, पाठ्यक्रमों में सुधार, कमजोर छात्रों को अतिरिक्त सहयोग, पैरेंट्स फीडबैक, व्यावहारिक शिक्षा व अन्य अकादमिक गतिविधियां भी एआई पर आधारित होंगे।
शिक्षकों की भूमिका को अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि ऑटोमैटिक ग्रेडिंग, पाठ्यक्रमों में सुधार, कमजोर छात्रों को अतिरिक्त सहयोग, पैरेंट्स फीडबैक, व्यावहारिक शिक्षा व अन्य अकादमिक गतिविधियां भी एआई पर आधारित होंगे।
एआई को लेकर जारी है शोध
अमरीका की कंटेंट टेक्नोलॉजी कंपनियां एआई शोध और अनुसंधान के जरिए ऐसे पुस्तकों के निर्माण में जुटी है जो छात्रों के लिए वर्तमान टेक्स्ट बुक का स्थान ले सके। कंपनी ने क्रैम101 और जस्टफैक्ट101 के नाम से बुक बनाने का काम शुरू भी कर दिया है। ये पुस्तक बच्चों को दशकों पुराने टेक्स्ट बुक्स से निजात दिलाएंगे और तकनीक आधारित पुस्तक मुहैया कराएंगे जो स्मार्ट लर्निंग साबित होगा।
अमरीका की कंटेंट टेक्नोलॉजी कंपनियां एआई शोध और अनुसंधान के जरिए ऐसे पुस्तकों के निर्माण में जुटी है जो छात्रों के लिए वर्तमान टेक्स्ट बुक का स्थान ले सके। कंपनी ने क्रैम101 और जस्टफैक्ट101 के नाम से बुक बनाने का काम शुरू भी कर दिया है। ये पुस्तक बच्चों को दशकों पुराने टेक्स्ट बुक्स से निजात दिलाएंगे और तकनीक आधारित पुस्तक मुहैया कराएंगे जो स्मार्ट लर्निंग साबित होगा।
गंभीरता से लें
ब्रिटेन सेवनओक्स स्कूल के निदेशक ग्रीम लॉरी का कहना है कि शिक्षकों को चाहिए कि वो एआई टूल्स सीखने पर जोर दें। शिक्षक इसे हल्के में न लेकर गंभीरता लें, क्योंकि व्यवस्था में बने रहने के लिए ऐसा करना होगा।
ब्रिटेन सेवनओक्स स्कूल के निदेशक ग्रीम लॉरी का कहना है कि शिक्षकों को चाहिए कि वो एआई टूल्स सीखने पर जोर दें। शिक्षक इसे हल्के में न लेकर गंभीरता लें, क्योंकि व्यवस्था में बने रहने के लिए ऐसा करना होगा।
हैंड्स ऑन लर्निंग
यह तकनीक छात्रों के लिए नया अनुभव देने वाली होगी। यह एक ऐसा तकनीकी उपकरण होगा जो उनके अध्ययन की सभी जरूरतों को ऑनलाइन इंटरेक्शन के मॉड में उपलब्ध कराएगा। शिक्षका इसकी तहकीकता कर पाएंगे कि छात्र किस गतिविधियों में सक्रिय हैं।
यह तकनीक छात्रों के लिए नया अनुभव देने वाली होगी। यह एक ऐसा तकनीकी उपकरण होगा जो उनके अध्ययन की सभी जरूरतों को ऑनलाइन इंटरेक्शन के मॉड में उपलब्ध कराएगा। शिक्षका इसकी तहकीकता कर पाएंगे कि छात्र किस गतिविधियों में सक्रिय हैं।
मेंटर-फैसिलिटेटर
जॉर्जिया के एआई टेक प्रोफेसर अशोक गोयल का कहना है कि तकनीक स्तर पर कमजोर होने से शिक्षकों की स्थिति बुरी हो सकती है। उन्हें तकनीक और व्यावसायिक दक्षता हासिल कर मेंटर और फैसिलिटेटर्स की भूमिका में आने की जरूरत है।
जॉर्जिया के एआई टेक प्रोफेसर अशोक गोयल का कहना है कि तकनीक स्तर पर कमजोर होने से शिक्षकों की स्थिति बुरी हो सकती है। उन्हें तकनीक और व्यावसायिक दक्षता हासिल कर मेंटर और फैसिलिटेटर्स की भूमिका में आने की जरूरत है।
एआई के वैश्विक शिक्षण संस्थान
1. कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी, पिट्सबर्ग
2. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड
3. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, मैसाचुसेट्स
4. यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया, एथेंस
5. नेशनल यूनिवर्सिटी सिंगापुर
6. ऑक्सफोर्ड ब्रूक यूनिवर्सिटी ब्रिटेन
7. यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन
8. चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस, चीन
1. कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी, पिट्सबर्ग
2. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड
3. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, मैसाचुसेट्स
4. यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया, एथेंस
5. नेशनल यूनिवर्सिटी सिंगापुर
6. ऑक्सफोर्ड ब्रूक यूनिवर्सिटी ब्रिटेन
7. यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन
8. चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस, चीन
भारत में प्रमुख संस्थान
1. आईआईएससी, बेंगलूरु
2. आईआईटी बॉम्बे
3. आईआईटी खडग़पुर
4. आईआईटी हैदराबाद
5. आईआईटी मद्रास
1. आईआईएससी, बेंगलूरु
2. आईआईटी बॉम्बे
3. आईआईटी खडग़पुर
4. आईआईटी हैदराबाद
5. आईआईटी मद्रास