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क्या सचमुच गोरा बनाती है फेयरनेस क्रीम, यहां जानिए पूरा सच

वाल उठता है कि क्या वाकई गोरा बनाने वाली क्रीम असर करती है। क्या वाकई क्रीम लगाने से काला रंग गोरा हो सकता है।

Aug 09, 2018 / 02:56 pm

Vineeta Vashisth

क्या सचमुच गोरा बनाती है फेयरनेस क्रीम, यहां जानिए पूरा सच

नई दिल्ली: बाजार में गोरा बनाने के नाम पर कई तरह की क्रीम बेची जा रही है। अपने रंग से नाखुश लोग गोरा होने के लिए बेझिझक इन क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या वाकई गोरा बनाने वाली क्रीम असर करती है। क्या वाकई क्रीम लगाने से काला रंग गोरा हो सकता है। आइए इस विषय पर बात करते हैं कि रंग गोरा करने वाली क्रीम आखिर कितना असर करती हैं।
हालांकि क्रीम लगाना ग़लत नहीं है, लेकिन उसके साथ ही ये देखना ज़रूरी हो जाता है कि क्रीम क्यों और शरीर के किस हिस्से पर लगाई जा रही है। आमतौर पर लोग ये समझना नहीं चाहते कि जिस क्रीम के बल पर वो रंग बदलने जा रहे हैं उसमें क्रीम में क्या-क्या मिला हुआ है और वो त्वचा के लिए कितनी सेफ है।
डाक्टर कहते हैं कि जो लोग बिना जाने पहचाने, और अपनी त्वचा की फिक्र किए बिना कोई भी क्रीम चुनकर लगाना शुरू कर देते हैं वो गंभीर साइड-इफेक्ट का शिकार हो सकते हैं।

बिना जांच पड़ताल के लगाई जा रही क्रीम हो सकता है कि कई सुरक्षा मापदंडों पर खरी न उतरी हो। ऐसी क्रीम में पारे जैसा ख़तरनाक पदार्थ हो सकता है। अगर इनमें ज़रूरत से ज़्यादा पारा डाल दिया जाए तो इससे आपकी सेहत ख़तरे में पड़ सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ चार में से तीन महिलाएं डॉक्टर की सलाह के बगैर ब्लीच इस्तेमाल करती हैं और बाद में त्वचा की गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं।

ब्रिटेन की नेशलन हेल्थ सर्विस भी इस बात की तस्दीक करती है कि अमतौर पर महिलाएं चेहरे के निशान छिपाने और सुंदरता बढ़ाने के लिए गोरा करने वाली क्रीम इस्तेमाल करती हैं।
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि फेयरनेस क्रीम आखिर कैसे काम करती है। फेयरनेस क्रीम हमारे शरीर में मौजूद मेलेनिन पर असर करती है। किसी भी व्यक्ति की त्वचा का रंग मेलेनिन से तय होता है और ये फेयरनेस क्रीम उस मेलेनिन को कम कर देती है। जिससे रंग साफ हो जाता है। त्वचा में जितना ज्यादा मेलेनिन होगा, रंग उतना ही गहरा होगा।
फेयरनेस क्रीम में दो तरह के ब्लीचिंग एजेंट होते हैं- हाइड्रोक्विनोन या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स। त्वचा विशेषज्ञों कहते हैं कि किसी भी फेयरनेस क्रीम में हाइड्रोक्विनोन का स्तर 4% से कम होना चाहिए क्योंकि यह चेहरे के लिए नहीं बनती और चेहरा की त्वचा काफी नाजुक होती है जिससे चेहरे पर बुरा असर पड़ता है।
ज्यादातर फेयरनेस क्रीम में स्टेरॉइड्स की अधिक मात्रा का इस्तेमाल होता है। इसकी वजह डीपिगमेंटेशन होता है। इससे काला रंग कम होने लगता है। यूं तो क्रीम की वजह से काले रंग का सफेद होना एक तरह का साइडइफेक्ट है पर ये फेयरनेस क्रीम इन्हें इफेक्ट की तरह इस्तेमाल करती हैं।
डॉक्टर साफ कहते हैं कि कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती। धूप की वजह से काली होने वाली त्वचा को का रंग साफ यानी पहले की तरह करना है तो आप सनस्क्रीन लोशन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन रंग बदलने की ताकत अभी तक किसी क्रीम में नहीं आई है।

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