विज्ञान और टेक्नोलॉजी

लैंडर के साथ लाल ग्रह पर ‘हेलिकॉप्टर’ भी भेजेगा इसरो

नई उड़ान की तैयारी : नासा के इनजेनिटी क्वाडकॉप्टर जैसा होगा भारत का रोटोकॉप्टर

Feb 26, 2024 / 12:28 am

ANUJ SHARMA

लैंडर के साथ लाल ग्रह पर ‘हेलिकॉप्टर’ भी भेजेगा इसरो

वॉशिंगटन/नई दिल्ली. मंगल ग्रह के अपने पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) के 11 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दूसरे मंगल मिशन की तैयारी कर रहा है। मार्टियन बाउंड्री लेयर एक्सप्लोरर (मार्बल) नाम के इस मिशन में एक ‘हेलिकॉप्टर’ भी शामिल हो सकता है, जो नासा के इनजेनिटी ड्रोन की तरह काम करेगा।स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक इसरो फिलहाल इस महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम रहा है। वह मंगल ग्रह पर लैंडर के साथ हेलिकॉप्टर भेजने की योजना बना रहा है। मंगल की सतह पर लैंडर के साथ एक रोटोकॉप्टर (हेलिकॉप्टर) भी उतारेगा। नासा का इनजेनिटी क्वाडकॉप्टर भी हेलिकॉप्टर की तरह था। इसने तीन साल तक मंगल ग्रह पर 72 उड़ानें भरते हुए 18 किलोमीटर की यात्रा की। इसरो के प्रस्तावित हेलीकॉप्टर में तापमान, आर्द्रता, दबाव, पवन गति, विद्युत क्षेत्र, ट्रेस और धूल सेंसर जैसे उपकरण कैसे काम करेंगे, इस पर विचार किया जा रहा है।
100 मीटर तक ऊंची उड़ान की संभावना

इसरो के हेलिकॉप्टर के मंगल ग्रह पर 100 मीटर तक ऊंची उड़ान भरने की संभावना है। इसे मार्टियन बाउंड्री लेयर एक्सप्लोरर (मार्बल) नाम के उपकरण से सुसज्जित किया जाएगा। हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह के हवाई अन्वेषण के लिए डिजाइन किया गया है। मार्बल मिशन मंगल ग्रह के मौसम के पैटर्न और ग्रह की ऐतिहासिक जलवायु के बारे में समझ बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।
पहले यान ने किया था आठ साल काम

इसरो ने पहला मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) नवंबर 2013 में लॉन्च किया था। यान ने सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में प्रवेश कर आठ साल तक काम किया। मंगल ग्रह पर 64 साल में सबसे ज्यादा 30 मिशन अमरीका ने भेजे हैं। सोवियत संघ/रूस 22 मिशन के साथ दूसरे नंबर पर है। यूरोपीय संघ, जापान और यूएई भी मंगल पर यान भेज चुके हैं।

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