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जानिए, कितने लोगों ने स्टीफन हॉकिंग की पीएचडी को देखा

Published: Oct 28, 2017 10:30:02 pm

संचार विभाग के उप प्रमुख स्मिथ ने बताया, स्मिथ का शोधपत्र अपोलो रिपॉजिटरी विश्वविद्यालय की अब तक की सबसे अधिक देखी जाने वाली सामग्री बन गई है।

Stephen Hawking

Stephen Hawking

लंदन। ब्रिटिश भौतिक शास्त्री और ब्रह्मांड विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग के पीएचडी शोधपत्र को सार्वजनिक किए जाने के कुछ ही दिनों में दुनिया भर में 20 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है। बीबीसी की खबर के मुताबिक हॉकिंग का 1966 में किया गया यह शोधकार्य इतना लोकप्रिय हुआ कि इसे सोमवार को जारी करते ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट का प्रकाशन अनुभाग ठप हो गया।

करीब पांच लाख से ज्यादा लोगों ने ‘ब्रह्माण्डों के विस्तार के लक्षण’ शीर्षक वाले पृष्ठ को डाउनलोड करने का प्रयास किया। विश्वविद्यालय के आर्थर स्मिथ ने इन आंकड़ों को ‘अद्वितीय’ बताया है। संचार विभाग के उप प्रमुख स्मिथ ने बताया, स्मिथ का शोधपत्र अपोलो रिपॉजिटरी विश्वविद्यालय की अब तक की सबसे अधिक देखी जाने वाली सामग्री बन गई है।

उन्होंने कहा, अनुमान के मुताबिक, प्रोफेसर हॉकिंग का पीएचडी शोधलेख किसी भी रिसर्च रिपॉजिटरी से सबसे अधिक देखा जाने वाला शोधलेख है। हमने पहले कभी ऐसे आंकड़े नहीं देखे हैं।

हॉकिंग (75) ने कैंब्रिज के ट्रिनिटी हॉल में अध्ययन के दौरान इस 134 पृष्ठों के दस्तावेज को लिखा था। इस दौरान वह 24 वर्षीय परास्नातक के छात्र थे। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में 1962 से रहने वाले खगोलविद ने ‘ए ब्रिफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ किताब लिखी है। जो अब तक के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिक कार्यों में से एक माना जाता है। हॉकिंग के पीएचडी शोधपत्र को पूरी तरह से पढऩे के इच्छुक व्यक्ति विश्वविद्यालय के पुस्तकालय जाकर 65 पौंड का भुगतान कर एक कॉपी स्कैन करा सकते हैं और फिर उसे पढ़ सकते हैं।

 


ऑक्टोपस से प्रेरित होकर बनाई ‘छलावरण त्वचा’
न्यूयॉर्क। वैज्ञानिकों ने सिंथेटिक ‘छलावरण त्वचा’ विकसित करने का एक नायाब तरीका खोज निकाला है, जो ऑक्टोपस और कटलफिश से प्रेरित है। ऑक्टोपस और कटलफिश दोनों ऐसे जीव हैं, जो तुरंत अपनी त्वचा का रंग बदल लेते हैं और पर्यावरण में गुम होने का तरीका उनके छलावरण कौशल का ही नमूना है। यह जीव तेजी से और प्रतिवर्ती रूप से अपनी त्वचा को एक बनावट की शक्ल दे देते हैं, और 3डी सतह में रूपांतरित हो सकते हैं, जिससे इन जीवों की एक बड़े आकार की रूपरेखा मिल जाती है, जैसे कि समुद्री शैवाल, मूंगा जो अन्य वस्तुओं की नकल करते हैं, जो छलावरण का पता लगाते हैं और उपयोग करते हैं।

पत्रिका ‘साइंसÓ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कृत्रिम ऊतक समूह विकसित करने की जानकारी दी है और कहा है कि ऊतक समूह व 2डी विस्तारित सामग्री, दोनों का लक्ष्य 3डी आकृतियों की एक सीमा बढ़ाना और वापस लेना है।

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य अध्ययनकर्ता लेखक जेम्स पिकुल ने कहा, इंजीनियरों ने नरम, विस्तारणीय सामग्रियों के आकार को नियंत्रित करने के लिए बहुत से तरीकों का विकास किया है, लेकिन हम इसे एक सरल तरीके से करना चाहते थे जो तेज, मजबूत और नियंत्रित करने में आसान हो।

उन्होंने कहा, हम देख रहे थे कि कैसे कैफलोपोड्स अपनी त्वचा की बनावट को बदलने में इतने सफल हैं, इसीलिए हम तैयार हुए और मांसपेशियों से प्रेरणा ली, जो कैफलोपोड्स को अपनी बनावट को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं, और इन विचारों को हमने नरम, खिंचाव वाली सामग्री के आकार को नियंत्रित करने के लिए एक विधि में इस्तेमाल किया।

अमरीका के मैसाचुसेट्स की मरीन बायोलोजिकल प्रयोगशाला के रोजर हेनलोन ने कहा, यह जैव- प्रेरित इंजीनियरिंग के साथ कई संभावित अनुप्रयोगों का एक बेहद ही बेहतरीन उदाहरण है। हेनलोन ने कहा, यह किसी भी स्थिति में काम कर सकता है, वहां भी, जहां आप किसी वस्तु के तापमान में हेरफेर करना चाहते हैं।

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