यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने दी सूचना
धरती के चुंबकीय क्षेत्र में आई कमजोरी की जानकारी यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के सैटेलाइट स्वार्म (Swarm) से मिली है। उन्होंने इस प्रभाव को ‘साउथ एटलांटिक एनामोली’ (South Atlantic Anomaly) नाम दिया है।
धरती के चुंबकीय क्षेत्र में आई कमजोरी की जानकारी यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के सैटेलाइट स्वार्म (Swarm) से मिली है। उन्होंने इस प्रभाव को ‘साउथ एटलांटिक एनामोली’ (South Atlantic Anomaly) नाम दिया है।
9 फीसदी तक घटी क्षमता
वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले 200 सालों से धरती की चुंबकीय शक्ति लगातार घट रही है। अभी तक इसमें करीब 9 फीसदी की कमी आई है। अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका तक चुंबकीय शक्ति में सबसे ज्यादा कमी देखी जा रही है. साइंटिस्ट इसे साउथ अटलांटिक एनोमली (South Atlantic Anomaly) कहते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले 200 सालों से धरती की चुंबकीय शक्ति लगातार घट रही है। अभी तक इसमें करीब 9 फीसदी की कमी आई है। अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका तक चुंबकीय शक्ति में सबसे ज्यादा कमी देखी जा रही है. साइंटिस्ट इसे साउथ अटलांटिक एनोमली (South Atlantic Anomaly) कहते हैं।
10 हजार किलोमीटर क्षेत्र में कमजोरी
अध्ययन में पता चला कि धरती के 10 हजार किलोमीटर में तक के इलाके में चुंबकीय शक्ति कमजोर हो गई है। चूंकि पृथ्वी के बाहरी परत में 3000 किलोमीटर नीचे चुंबकीय क्षेत्र है। सामान्य तौर पर इसे 32 हजार नैनोटेस्ला होनी चाहिए थी, लेकिन 1970 से 2020 तक यह घटकर 24 हजार से 22 हजार नैनोटेस्ला तक जा पहुंची है।
अध्ययन में पता चला कि धरती के 10 हजार किलोमीटर में तक के इलाके में चुंबकीय शक्ति कमजोर हो गई है। चूंकि पृथ्वी के बाहरी परत में 3000 किलोमीटर नीचे चुंबकीय क्षेत्र है। सामान्य तौर पर इसे 32 हजार नैनोटेस्ला होनी चाहिए थी, लेकिन 1970 से 2020 तक यह घटकर 24 हजार से 22 हजार नैनोटेस्ला तक जा पहुंची है।
रेडिएशन का बढ़ा खतरा
धरती की चुंबकीय शक्ति खत्म होने से रेडिएशन का खतरा बढ़ गया है। क्योंकि इसी शक्ति की वजह से ही हम अंतरिक्ष से आने वाली रेडिएशन से बचे रहते हैं। मगर पृथ्वी की ताकत कम होने से ये सीधे धरती पर आएंगे, जिससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।
धरती की चुंबकीय शक्ति खत्म होने से रेडिएशन का खतरा बढ़ गया है। क्योंकि इसी शक्ति की वजह से ही हम अंतरिक्ष से आने वाली रेडिएशन से बचे रहते हैं। मगर पृथ्वी की ताकत कम होने से ये सीधे धरती पर आएंगे, जिससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।
सैटेलाइट्स में आ सकती है खराबी
पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति के सहारे सभी प्रकार की संचार प्रणालियां जैसे— सैटेलाइट, मोबाइल, चैनल आदि काम करते हैं। मगर इसके खत्म या कमजोर होने से सभी चीजें ध्वस्त होने लगेंगी। इससे सैटेलाइट सिस्टम फेल हो जाएंगे। साथ ही विमान में भी तकनीकी खराबियां आ सकती हैं।
पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति के सहारे सभी प्रकार की संचार प्रणालियां जैसे— सैटेलाइट, मोबाइल, चैनल आदि काम करते हैं। मगर इसके खत्म या कमजोर होने से सभी चीजें ध्वस्त होने लगेंगी। इससे सैटेलाइट सिस्टम फेल हो जाएंगे। साथ ही विमान में भी तकनीकी खराबियां आ सकती हैं।