scriptमंगल की ऊपरी सतह पर मौजूद खनिजों में फंसा है पानी ! | Mars' 'missing' water is buried beneath surface: study | Patrika News

मंगल की ऊपरी सतह पर मौजूद खनिजों में फंसा है पानी !

locationनई दिल्लीPublished: Mar 18, 2021 01:12:49 pm

– नासा का दावा कुछ खनिजों के क्रिस्टल स्ट्रक्चर में ही छिपा है पानी- नासा द्वारा वित्तपोषित शोधपत्र में कहा गया है कि मंगल ग्रह से पानी अभी भी कहीं गायब नहीं हुआ है।

Mars

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वाशिंगटन। मंगल ग्रह को लेकर नया शोध सामने आया है। इसमें दावा किया गया है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे ही पानी छिपा है। नासा द्वारा वित्तपोषित शोधपत्र में कहा गया है कि मंगल ग्रह से पानी अभी भी कहीं गायब नहीं हुआ है। यह पानी ग्रह की ऊपरी सतह के अंदर मौजूद खनिजों में फंसा है। यह शोध साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसकी मुख्य लेखिका ईवा स्केलर ने कहा, मंगल ग्रह की ऊपरी सतह पर कुछ खनिज पदार्थ हैं, जिनके क्रिस्टल स्ट्रक्चर में ही पानी छिपा हुआ है। इस अध्ययन के मुताबिक मंगल ग्रह पर कुछ पानी जरूर खत्म हुआ होगा या गायब हो गया होगा, लेकिन अधिकतर पानी अब भी ग्रह पर ही है। शोधकर्ताओं की टीम ने मंगल ग्रह पर जाने वाले शोध यानों द्वारा जुटाए गए आंकड़ों और ग्रह के उल्कापिंडों का इस्तेमाल करके पानी के अहम हिस्से हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित किया।

एक माह में पहुंचे तीन मिशन-
पिछले एक माह में जीवन के निशान तलाशने के लिए पृथ्वी से 3 मिशन मंगल ग्रह पहुंच गए हैं। इनमें यूएई का पहला अंतग्र्रहीय मिशन द होप ऑर्बिटर, चीन का पहला मंगल मिशन तियानवेन-1 ऑर्बिटर और अमरीका का परसिवरेंस रोवर शामिल हैं। परसिवरेंस जेजेरो गड्ढे में जांच अभियान में लगा है। यहां पर 3.5 अरब साल पहले विशाल झील थी।

4.6 अरब साल पहले आया वजूद में-
मंगल ग्रह 4.6 अरब साल पहले वजूद में आया था। इसलिए अतीत में अगर मंगल पर जीवन था, तो वो संभवत 4.48 अरब साल पहले विकसित होना शुरू हो गया होगा। तकरीबन उसी समय जब पृथ्वी पर शुरू हुआ। हालांकि हमारी धरती पर जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण, केवल 3.7 अरब साल पहले के ही हैं।

छिपा हुआ है 99 फीसदी तक पानी-
ईवा के मंगल मॉडल से यह संकेत मिलते हैं कि करीब 30 से 99 फीसदी पानी इन्हीं खनिजों में फंसा है। काफी समय से माना जाता रहा है कि मंगल ग्रह पर शुरुआत से ही इतना अधिक पानी था कि वह करीब 100 से 1,500 मीटर क्षेत्रफल के समुद्र से ही ग्रह को कवर कर सकता था। वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्रह की मैग्नेटिक फील्ड खत्म हो गई थी। इसके बाद उसका वातावरण भी धीरे-धीरे समाप्त हो गया। इसी कारण ग्रह का पानी भी खत्म हुआ होगा।

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