कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर स्पीच, भाषा और मस्तिष्क विभाग के निदेशक और शोध की प्रमुख लेखक लॉरेन टाइलर का कहना है कि शब्दों को उनके संदर्भ में रखने की हमारी क्षमता उनके आसपास के अन्य शब्दों के आधार पर तय होती है। किसी भी भाषा को समझकर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करने की दिमाग की इस विशेषता को ‘सिमैंटिक कम्पोजिशन’ कहते हैं। इस प्रक्रिया में हमारा दिमाग सुने गए शब्दों और उनके अर्थों को एक वाक्य में जोड़ता है ताकि पहले से दिमाग के मेमोरी बॉक्स में संचित शब्दों के साथ उनकी तुलना कर प्रतिक्रिया कर सके। यह सब मिली सेकंड्स से भी कम समय में होता है। जैसे ही हम कोई शब्द सुनते हैं तो ‘सिमैंटिक कम्पोजिशन’ मस्तिष्क को विवश करता है कि वह इस वाक्य के अगले शब्द की व्याख्या करे।